Ranchi : अफसर बनने का सपना देख रहे 25 हजार झारखंडी युवाओं का सपना हेमंत सरकार ने तोड़ दिया है. जेपीएससी निकालकर क्लास वन की नौकरी पाने के लिए इन्होंने 10 साल से भी ज्यादा समय तक मेहनत की. परीक्षा की तैयारी करते-करते उम्र सीमा पार हो गयी. अब सातवीं जेपीएससी के कट ऑफ डेट ने इनका भविष्य अधर में लटका दिया है. जाहिर है इन 25 हजार मूलवासियों का हक यूपी, बिहार और दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी मार लेंगे.
परीक्षा की उम्र 35 साल निर्धारित की गयी है. 1 अगस्त 2016 को कट ऑफ डेट माना गया है. यानी जिन छात्रों का डेट ऑफ बर्थ 1978 से पहले का होगा, वो सातवीं जेपीएससी की परीक्षा नहीं दे पायेंगे. अभ्यर्थियों को उम्मीद भी यही थी कि सातवीं जेपीएससी के लिए कट ऑफ डेट 1 अगस्त 2011 रखी जाएगी, क्योंकि 2016 में हुई छठी जेपीएससी की परीक्षा के लिए कट ऑफ डेट 1 अगस्त 2010 रखी गई थी. जेपीएससी और सरकार की गलतियों की वजह से 19 साल में जेपीएससी कि सिर्फ 7 परीक्षाएं आयोजित हो सकीं. आखिर इसका खामियाजा अभ्यर्थी क्यों भुगतें.
ऐसे अभ्यर्थियों की एक ही मांग है कि कट ऑफ डेट 1 अगस्त 2011 किया जाये या फिर परीक्षा में शामिल होने की उम्र सीमा 42 साल की जाये.
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बाहरी अभ्यर्थियों को ऐसे रोकते हैं दूसरे राज्य
जेपीएससी हमेशा विवादों में रहा है. दूसरे राज्यों के पब्लिक सर्विस कमीशन कभी इतने विवाद में नहीं रहे. उन्होंने स्थानीय अभ्यर्थियों के हित में काम किया. छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश ने सिविल सेवा की परीक्षा में जनरल कोटे के अभ्यर्थियों के उम्र सीमा 40 वर्ष रखी है, ओबीसी के लिए 42 और एसटी-एससी के लिए 45 साल रखी गई है. यह उम्र सीमा सिर्फ इन राज्यों के मूलवासियों के लिए है, जबकि दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी अगर परीक्षा में शामिल होते हैं, तो उनकी उम्र सीमा 28 वर्ष रखी गई है.
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झारखंड में नहीं खड़ी की गयी भाषा की दीवार
राज्य सिविल सेवा की परीक्षा राज्यों में आरक्षण के दायरे से बाहर है. लेकिन ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के राज्यों ने परीक्षा का पैटर्न ऐसा रखा है कि बाहरी अभ्यर्थियों के लिए पास करना बेहद मुश्किल है. इन राज्यों के रीजनल पेपर भाषा की ऐसी दीवार खड़ी कर देते हैं कि हिंदी भाषी छात्र परीक्षा निकाल नहीं पाते. जबकि झारखंड सिविल सेवा परीक्षा में भाषा की कोई बाध्यता नहीं है. दूसरे राज्यों के हिंदी भाषी अभ्यर्थी आसानी से परीक्षा पास कर नौकरी पा सकते हैं.
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1 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी देंगे इस बार जेपीएससी परीक्षा
हेमंत सरकार ने जेपीएससी की चार परीक्षाएं आयोजित करने का फैसला लेकर जेपीएससी के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है. लेकिन कट ऑफ डेट का विवाद गहराता जा रहा है. पिछली परीक्षा में करीब 70 हजार छात्र जेपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए थे. इस बार एक लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों के शामिल होने की उम्मीद है. विधानसभा सत्र में विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की तैयारी कर चुका है.
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छठी जेपीएससी पर फैसला आया तो लटकेगी 7 वीं जेपीएससी
उधर छठी जेपीएससी मामले पर भी 10 मार्च के बाद फैसला आने वाला है. अगर यह फैसला अभ्यर्थियों की पक्ष में आता है, तो सातवीं जेपीएससी की परीक्षा पर ग्रहण लग सकता है, क्योंकि छठी जेपीएससी की परीक्षा अगर रद्द हुई तो उसे होल्ड कर व्यावहारिक तौर पर सातवीं जेपीएससी की परीक्षा नहीं ली जा सकती.
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हर बार खड़ा होता है उम्र का बखेड़ा
जब से जेपीएससी की परीक्षा ली जा रही है, हर बार उम्र सीमा का बखेड़ा होता है. 2003 में जब पहला नोटिफिकेशन आया था तब उम्र सीमा की कट ऑफ डेट 1 अगस्त 2002 तय हुई थी. उम्र सीमा 35 वर्ष रखी गई थी. बाद में अभ्यर्थियों के विरोध के बाद उम्र सीमा 37 साल कर दी गई. 2005 में दूसरे नोटिफिकेशन में उम्र सीमा को घटनाकर फिर से 35 वर्ष कर दी गई. कट ऑफ डेट को 1 अगस्त 2003 के बजाय 1 अगस्त 2004 कर दिया गया था.
2007 में तीसरा नोटिफिकेशन आया, जिसमें कट ऑफ डेट 1 अगस्त 2007 रखी गई. हंगामे के बाद इसे बदलकर 1 अगस्त 2005 किया गया. इसी तरह 2010 में चौथा नोटिफिकेशन आया.
कट ऑफ डेट 1 अगस्त 2010 रखा गया. हंगामे के बाद फिर इसे बदलकर 1 अगस्त 2006 किया गया. इसी दौरान राष्ट्रपति शासन के समय परीक्षा में शामिल होने की उम्र सीमा बढ़ाकर 40 साल कर दी गई. सरकार बनते ही फिर से उम्र सीमा 35 वर्ष की गई और जेपीएससी परीक्षा में शामिल होने की संख्या 4 बार निश्चित कर दी गई.
फिर 2013 में आय़ा जेपीएससी परीक्षा के लिए पांचवां नोटिफिकेशन जिसमें कट ऑफ डेट 1 अगस्त 2007 के बदले 1 अगस्त 2009 कर दी गयी. 2016 में छठी जेपीएससी के लिए नोटिफिकेशन आया और कट ऑफ डेट 1 अगस्त 2019 कर दी गयी.
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