Ranchi : राजधानी में कचरे से गैस उत्पादन के लिए कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट निर्माण का सपना अब जल्द पूरा होगा. गुरुवार को प्लांट निर्माण को लेकर गेल इंडिया लिमिटेड और रांची नगर निगम के बीच एक एमओयू में साइन किया गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में गेल इंडिया के कार्यकारी निदेशक केबी सिंह और नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने एमओयू में हस्ताक्षर किया. वहीं नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने सभी को बधाई देते हुए जल्द ही इस दिशा में कार्य शुरू करने का निर्देश दिया है.
इस अवसर पर मेयर आशा लकड़ा, डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय, नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे, राज्य शहरी विकास अभिकरण के निदेशक अमित कुमार, सहित कई अधिकारी मौजूद थे.
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झिरी में आठ एकड़ जमीन पर गेल लगाएगा 150-150 टन का प्लांट
बता दें कि रांची में प्रतिदिन 300 टन ऑर्गेनिक कचरा का प्रोसेसिंग कर करीब 10 टन प्रतिदिन कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. गेल इंडिया लिमिटेड इसके लिए 150-150 टन का दो प्लांट लगाएगा. प्रथम चरण में एक प्लांट लगाया जाएगा जिसके निर्माण में करीब दो साल का समय लग सकता है. इसके लिए निगम झिरी में आठ एकड़ जमीन गेल इंडिया लिमिटेड को उपलब्ध करा रहा है. वहीं दूसरे फेज में अगर जरुरत पड़ी तो नगर निगम अतिरिक्त जमीन का भी व्यवस्था करेगा. इस व्यवस्था के लागू होने के बाद रांची नगर निगम द्वारा कचरे के प्रसंस्करण पर किए जा रहे खर्च से सालाना 81 करोड़ रुपये बचा सकेगा.
इस प्लांट में क्या कुछ होगा खास
- गेल इंडिया लिमिटेड रांची में दो चरणों में 300 मीट्रिक टन/प्रतिदिन का ऑर्गेनिक अपशिष्ट प्रसंस्करण प्लांट लगाएगा.
- पहले चरण में 150 टन क्षमता वाला ऑर्गेनिक अपशिष्ट प्रसंस्करण प्लांट का निर्माण होगा.
- एक प्लांट एक दिन में 5 टन कंप्रेस्ड बायोगैस का उत्पादन करेगा.
- प्लांट में 15 साल तक काम करने की क्षमता होगी
- प्लांट के लिए जरुरी आठ एकड़ जमीन रांची नगर निगम लीज रेंट पर गेल इंडिया लिमिटेड को उपलब्ध कराएगा.
- प्लांट के निर्माण में आनेवाला खर्च करीब 28.19 करोड़ रुपये होगा, जो गेल इंडिया खर्च करेगा.
- शहर के अंदर और शहर के बाहरी क्षेत्र में दो गैस फिलिंग प्लांट का निर्माण भी होगा.
- दो आउटलेट के लिए 3600 वर्ग मीटर का एक प्लॉट शहर में और दूसरा शहर से बाहर नगर निगम उपलब्ध कराएगा.
- गेल इंडिया लिमिटेड अपनी आमदनी का दस प्रतिशत हिस्सा नगर निगम को देगा, जिससे कचरे के ट्रांसपोर्टेशन में मदद मिलेगी.
- रांची नगर निगम अपशिष्ट प्रसंस्करण के मामले में कार्बन क्रेडिट्स का दावा कर सकेगा.
- वैज्ञानिक तरीके से होने वाले प्रसंस्करण के कारण कचरा से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण स्तर में कमी आएगी.
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