Ranchi : खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने गेतलसूद में बनने वाले मेगा फूड पार्क की स्वीकृति रद्द कर दी है. साल 2019 में फूड पार्क बनने की स्वीकृति रद्द की गई है. मेसर्स झारखंड मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड का लोन भी एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) में चला गया है. कंपनी ने इलाहाबाद बैंक से 33.95 करोड़ का लोन लिया था. जबकि सरकार और प्रमोटरों की तरफ से पार्क के निर्माण के लिए 117.96 करोड़ रूपये निवेश किया गया था.
बता दें कि राज्य सरकार ने मेसर्स झारखंड मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड को पार्क बनाने का काम दिया था. इस योजना में राज्य सरकार और अन्य प्रमोटरों ने निवेश किया. सिंतबर 2019 में केंद्रीय मंत्रालय से स्वीकृति रद्द होने के बाद राज्य में मेगा फूड पार्क के काम में विराम लग गया.
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विधि अधिकरण में चल रहा मामला
लोन एनपीए में चले जाने के बाद इलाहाबाद बैंक ने मामले की शिकायत राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण में की है. इसके पहले मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस भी भेजा गया है, लेकिन कंपनी की ओर से इस संबध में कोई जवाब नहीं दिया गया. खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की ओर से 2009 में योजना को अंतिम स्वीकृति मिली.
बता दें कि मेसर्स झारखंड मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को तत्कालीन राज्य सरकार ने काम आंवटित तो कर दिया था. लेकिन जमीन समेत अन्य संसाधन उपलब्ध नहीं होने के कारण केंद्रीय मंत्रालय ने आवंटन रद्द कर दिया है. अब लोन की पूरी जिम्मेदारी कंपनी के ऊपर है.
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मंत्रालय को मिली थी शिकायतें
गेतलसूद में फूड पार्क बनने की प्रक्रिया में लंबा समय लगा. संसाधनों की कमी इसका प्रमुख कारण रहा. इस संबध में कई बार मंत्रालय को शिकायत भी की गयी. जिसके बाद मंत्रालय स्तर से परियोजना की जांच की गयी. जिसमें पाया गया कि केंद्रीय और प्राथमिक स्तर पर स्वीकृति के बाद भी संसाधनों को पूरा नहीं किया गया. मंत्रालय में फूड पार्क की गति को संतोषजनक नहीं बताते हुए साल 2019 में स्वीकृति रद्द कर दी थी. फूड पार्क के लिये 51.50 एकड़ जमीन चिन्हित की गयी थी.
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सरकार और कंपनियों की ओर से योगदान
योजना के लिये सरकार की ओर से 43.78 करोड़ अनुदान दिया गया था. लोन 33.95 करोड़ रूपये लिया गया. लनर जनरल ट्रेडिंग एलएलपी का निवेश 39.96 लाख, ग्रीन कॉस्ट नर्सरीज इंडिया प्रा. लि. 40.5 लाख, मिकी शिपिंग से 19.99 लाख, जेनेक्स वेनच्योर कैपिटल आइएनसी से 944 लाख, एम्पावर इंडिया लि. ने 22.11 करोड़ रुपये इस योजना में निवेश किया था.
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