Patna: बिहार के 5 विश्वविद्यालयों का कार्य प्रभार में चल रहा है. कुलपतियों का टर्म पूरा होने के बाद काफी समय से दूसरे विश्वविद्यालय के कुलपति को प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है. इससे छात्रों की समस्याओं के साथ-साथ एकेडमिक कैलेंडर के अनुपालन में भी परेशानी हो रही है. स्थिति यह है कि राजधानी के पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, मौलाना मजहरुल हक विवि, वीर कुंअर सिंह आरा विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय के कार्य प्रभारी कुलपति के सहारे चल रहे है. कुलपति के प्रभार में रहने के कारण सभी विश्वविद्यालयों का कार्य शिथिल हो गया है. साथ ही इसका असर शैक्षणिक व्यवस्था पर भी पड़ रहा है.
दो से तीन साल पीछे चल रहा सत्र
बिहार में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति यह है कि पटना विश्वविद्यालय व तकनीकी विश्वविद्यालय को छोड़ दें, तो सभी विश्वविद्यालयों में दो वर्षीय पीजी पाठ्यक्रमों की परीक्षा और सत्र तीन वर्ष या इससे पीछे चल रहा है. विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति के कार्यकाल की समय सीमा खत्म होने के तीन महीने पहले से नए कुलपति की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया आरंभ हो जानी चाहिए. यदि किसी कारणवश प्रभारी कुलपति नियुक्त करना हो, तो संबंधित विश्वविद्यालय के सीनियर डीन या सीनियर शिक्षक को प्रभार दिया जाना चाहिए.
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जानकारों का क्या कुछ कहना है ?
एएन कालेज के सेवानिवृत प्राचार्य प्रो. बिहारी सिंह का कहना है कि, एक कुलपति को कई जगह चार्ज दिए जाने के कारण किसी भी विश्वविद्यालय के साथ इंसाफ नहीं हो सकता है. इफेक्टिव कार्य भी नहीं हो सकते हैं. यदि प्रभार भी दिया जाना चाहिए तो प्रति कुलपति या वहां के सीनियर शिक्षक को दे दिया जाना चाहिए. इसी तरह पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रास बिहारी सिंह का कहना है कि, विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के प्रभार देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट का भी स्पष्ट आदेश है. यदि निवर्तमान कुलपति का समय पूरा हो जाए, तो वहां यदि प्रति कुलपति हो तो उन्हें चार्ज दिया जाना चाहिए. प्रति कुलपति के नहीं रहने पर विश्वविद्यालय के सीनियर डीन या शिक्षक को चार्ज दिया जाना चाहिए. विश्वविद्यालय के कुलपति का पद पूर्णकालिक होता है. अधिनियम के अनुसार एक विवि के पास एक ही पूर्णकालिक कुलपति होना चाहिए.
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