- झारखंड को अपना नेटवर्किंग सिस्टम बनाने में लगेगा वक्त
- अभी करनी पड़ेगी डीवीसी की मनमानी बर्दाश्त
Ranchi : 24 घंटे बिजली मिलने का झारखंडवासियों का सपना पूरा होने में अभी समय लगेगा. नहीं चाहते हुए भी राज्य सरकार को डीवीसी की मनमानी बर्दाश्त करनी होगी, क्योंकि ऊर्जा विभाग को फुल स्ट्रेंथ में आने में काफी वक्त लगने वाला है. बिजली के मामले में राज्य की स्थिति बिल्कुल अच्छी नहीं है. राज्य में 50 से ज्यादा पावरग्रिड बनकर तैयार हैं, लेकिन इनसे सही तरीके से बिजली की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
वहीं पतरातू थर्मल पावर स्टेशन और एनटीपीसी के ही 132 केवी के 38 ग्रिड सब स्टेशन अभी भी निर्माणाधीन हैं. ईस्टर्न रिजनल Strengthening स्कीम के तहत धनबाद में भी 440/220 केवी ग्रिड सब स्टेशन का निर्माण हो रहा है. इसे ट्रांसमिशन नेटवर्क से जोड़ने के लिए ट्रांसमिशन लाइन का भी निर्माण किया जाना है. पतरातू, हजारीबाग, गोमिया, बरकट्ठा, तोपचांची और बलियापुर में भी 220 केवी के ग्रिड सब स्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण किया जाना है.
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7 जिलों में बिजली के लिए पूरी तरह डीवीसी पर निर्भर झारखंड
सात जिलों में बिजली के लिए राज्य पूरी तरह से डीवीसी पर निर्भर है. डीवीसी के कमांड एरिया का जिला धनबाद, बोकारो, रामगढ़, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा और गिरिडीह में डीवीसी के ट्रांसमिशन लाइन और ग्रिड सब स्टेशन से बिजली की आपूर्ति की जा रही है. इन सात जिलों के अलावा पूरे राज्य में निर्बाध रूप से बिजली की बुनियादी ढांचों को मजबूत करने के लिए इस बार ऊर्जा विभाग को बजट में 4,363 करोड़ रुपये मिले हैं. पुरानी परियोजनाएं अबतक अधूरी पड़ी हैं, लेकिन सरकार ने नई ट्रांसमिशन परियोजनाओं के लिए 500 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना ली है.
चांडिल, कोडरमा में भी ट्रांसमिशन लाइन होगा शुरू
डीवीसी की मनमानी खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने अपना नेटवर्किंग सिस्टम डेवलप करने की योजना बनाई है. नये बजट में सरकार की पूरी कोशिश है कि वह अपनी क्षमता विकसित करे और DVC से बिजली खरीदकर खुद JBVNL बिजली वितरण कर सके. इसी के लिए 132 केवी के 38 ग्रिड का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन अभी इसके निर्माण को पूरा होने और बिजली उत्पादन शुरू होने में लंबा वक्त लगेगा. इसके अलावा चांडिल और कोडरमा में 400 केवी ग्रिड-सब स्टेशन एवं ट्रांसमिशन लाइन का भी काम जल्द शुरू होना है.
कौन-सी कंपनी कितना करती है बिजली का उत्पादन
राज्य में बिजली उत्पादन टीटीपीएस, इंलैंड पावर, आधुनिक पावर लिमिटेड और सिकिदरी हाईडल पावर प्लांट से होता है. इसमें सिकिदरी और टीटीपीएस का पूरा स्वामित्व राज्य सरकार के पास है. वहीं आधूनिक और इंलैंड पावर निजी है. ये सिर्फ राज्य सरकार को बिजली देते हैं. दर नियामक आयोग तय करती है. टीटीपीएस से 210 मेगावाट, आधुनिक पावर प्लांट से 540 मेगावाट. इंलैंड पावर प्लांट से 55 मेगावाट और सिकिदरी से 130 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है.
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