Ranchi: झारखंड विधानसभा में श्रम, नियोजन और कौशल प्रशिक्षण विभाग का 590 करोड़ का बजट पास हो गया. अनुदान मांग पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि 2022-23 में कौशल विकास मिशन सोसाइटी के लिए एक लाख युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने का लक्ष्य तय किया गया है. इसके लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों का कैम्प लगाया जाएगा. मंत्री ने कहा कि झारखंड में असंगठित श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं चल रही हैं. रजिस्टर्ड असंगठित मजदूर की सामान्य मृत्यु होने पर 50 हजार और दुर्घटना में मौत होने पर 1 लाख रुपये परिजनों को मुआवजा दिया जाता है.
असंगठित मजदूरों की मौत पर अत्येष्टि के लिए आश्रितों को 15 से 25 हजार तक की मदद
वहीं अत्येष्टि सहायता योजना के तहत असंगठित मजदूरों की सामान्य मौत पर 15000 और दुर्घटना में मौत होने पर 25 हजार रुपये का भुगतान आश्रितों को किया जाता है. इसके अलावा श्रमिकों के दो बच्चों को 250 से 8 हजार रुपये तक छात्रवृति देने का प्रावधान मुख्यमंत्री छात्रवृति योजना के तहत किया जाएगा. कौशल उन्नयन योजना के तहत श्रमिकों के दो बच्चों को योग्यता के अनुसार कौशल विकास मिशन के जरिये प्रशिक्षण दिये जाने का प्रावधान किया गया है.
ई-श्रम पोर्टल से 88,53,904 असंगठित मजदूरों का रजिस्ट्रेशन
मंत्री ने बताया कि 2021-22 में ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से 88,53,904 असंगठित मजदूरों का रजिस्ट्रेशन किया गया है और 6000 मजदूरों को कल्याणकारी योजनाओं के तहत 13.71 रुपये का लाभ दिया गया है. झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी के तहत कौशल विकास केंद्रों का संचालन 5 अगस्त 2021 से पुनः शुरू किया गया है. इसके बाद इस पाठ्यक्रम में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा कि झारखंड के 6.77 बीमित कर्मचारियों जिनकी मासिक आमदनी 21 हजार एवम लगभग 27 लाख आश्रितों को कर्मचारी राज्य बीमा योजना से संचालित अस्पतालों में वित्त रहित चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही है. उन्होंने कहा कि नामकुम के ईएसआई हॉस्पिटल के अतिरिक्त आठ जिले के अस्पतालों को इससे जोड़ा जा रहा है. राज्य के 462 आईटीआई चालू हो गए हैं. वर्तमान वर्ष में 18290 युवक युवतियों को रोजगार दिया गया है.
पर्याप्त खनिज फिर भी एक्सपोर्टर ही बना हुआ है झारखंड- अंबा प्रसाद
अनुदान मांग पर सरकार के पक्ष से बोलते हुए विधायक अंबा प्रसाद ने कहा कि झारखंड के पास पर्याप्त खनिज है. लेकिन आज तक झारखंड एक्सपोर्टर के रूप में ही जाना जाता है. अगर खनिजों का दोहन बंद नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ियां हमें कोसेंगी. उन्होंने कहा कि हमें रायल्टी केंद्रीत खनन के बजाए विकास केंद्रीत खनन की ओर ध्यान देना होगा. प्रचुर खनिज होने के बावजूद राज्य में खनिज आधारित उद्योग नहीं लग रहे हैं इसपर सरकार को सोचना चाहिए.
बीमारी से मरने वाले प्रवासी मजदूरों के परिजनों को भी मिले मुआवजा- बिनोद
माले विधायक बिनोद सिंह ने कहा कि राज्य के 18 जिलों में लेबर कमिश्नर नहीं हैं. वहीं प्रवासी मजदूरों के दूसरे राज्य में मौत होने पर सरकार ने शव लाने की व्यवस्था तो कर दी है, लेकिन आश्रितों को मुआवजा के लिए चक्कर काटना पड़ रहा है. सिर्फ हादसे में मरने वाले मजदूरों के परिजनों को ही मुआवजा मिलता है. जिनकी मौत बीमारी से हुई उन्हें मुआवजा नहीं दिया जाता है. विधायक ने कहा कि ऊर्जा विभाग में भी कई खामियां हैं. गांवों में जब ट्रांसफर्मर जल जाता है तो उसे उतारने और फिर जिला मुख्यालय ले जाकर बनवाने और वापस लाकर इंस्टॉल करने में ग्रामीणों को अपने पैसे देने पड़ते हैं. यह व्यवस्था ठीक की जाये.
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