Amit Singh
Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट रांची में जलस्रोतों पर अतिक्रमण को लेकर गंभीर है. इनमें तालाब, नदी और डैम शामिल हैं. हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि 30 साल पहले रांची में कितने तालाब थे. शहर में कितनी हरियाली थी. सरकार को हाईकोर्ट को इसकी जानकारी देनी है. लगातार न्यूज ने भी अपने स्तर से रांची में तालाबों, नदियों और डैमों की स्थिति की पड़ताल की. इसमें रांची विश्वविद्यालय भूगर्भ विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष और पर्यावरणविद प्रो. उदय कुमार ने सहयोग किया.
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झारखंड के 10 हजार में से एक तिहाई तालाब खत्म
लगातार की पड़ताल में कई चौंकाने वाली बातें सामने आयीं. पता चला कि वर्ष 1928 और 1932 में रांची शहर का नक्शा रिवाईज हुआ था. पूरे राज्य में करीब 10 हजार तालाब हुआ करते थे. अब मात्र 7,860 तालाब ही बचे हैं. 1928 में रांची जिले में करीब 900 तालाब हुआ करते थे. अब मात्र 280 ही बचे हैं. 900 में से 270 तालाब रांची शहरी क्षेत्र में थे. अभी मात्र 42 तालाब बचे हैं. शहर के कई क्षेत्रों से निकलने वाली नालियों का पानी इन तालाबों में जमा हो रहा है.
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शहरी क्षेत्र के दो दर्जन तालाबों पर बन गयीं इमारतें
तालाबों के शहर के रूप में मशहूर रांची अब तालाब विहीन हो रही है. शहर के कई तालाबों पर भू-माफियाओं ने कब्जा जमा लिया है. कई तालाब रख-रखाव की कमी के कारण अपना अस्तित्व खो रहे हैं. आरआरडीए की ओर से बीते वर्ष कराये गये सर्वे के मुताबिक, रांची और आसपास के 40 गांवों में 81 में से 78 तालाबों की स्थिति दयनीय है. शहरी क्षेत्र में लगभग दो दर्जन तालाब तो गायब हो गये हैं. इन तालाबों को जमीन दलालों ने भरकर बेच दिया है. जहां तालाब होते थे, वहां अब बहुमंजिली इमारतें बना दी गयी हैं.
डिस्टिलरी जैसे तालाबों से होता था सतही और भूजल का मेंटेनेंस
रांची शहर पठार पर बसा है. बारिश का पानी ज्यादा से ज्यादा जमा हो, इसके लिए तालाब बनाये गये थे. शहर के तालाब आसपास के सतही और भूगर्भीय जल स्तर को मेंटेन रखने में सहयोग करते थे. प्रोफेसर उदय कुमार के अनुसार, यह शहर पूरी तरह से वर्षा जल पर आधारित है. इसलिए सतही जल का मेंटेनेंस जरूरी है. पहले गांव—शहर में ट्रेडिशनल सिस्टम के तहत तालाब बनाये गये थे. ये तालाब सतही और भूगर्भीय जल, दोनों को मेंटेन रखते थे.
कोकर डिस्टिलरी तालाब एक बेहतर उदाहरण था. यह रिचार्ज होने की वजह से हमेशा पानी डिस्चार्ज करता था. आज शहर से करीब दो दर्जन तालाब गायब हो गये हैं. तालाबों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है. यही कारण है कि जिस शहर में पांच-सात फीट खोदने से पानी निकल आता था, वहां कई इलाकों में भूजल का स्तर एक हजार फुट से नीचे चला गया है.
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