Ranchi: नागपुरी भाषा के कवि और साहित्यकार लाल रणविजय नाथ शाहदेव ने झारखंड आंदोलन में अहम भूमिका निभाई है. वे हमेशा झारखंड के विकास के लिए चिंतित रहते थे. वे अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को झारखंड के नवनिर्माण के लिए जागरूक करते थे.बुधवार को श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में लाल रणविजय नाथ शाहदेव जयंती समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कुलपति तपन कुमार सांडिल्य ने कहा, “झारखंड नवनिर्माण में लाल रणविजय नाथ शाहदेव का बहुत बड़ा योगदान है. उनका जन्म 5 फरवरी 1940 को लापुंग में हुआ था, और उनका निधन 18 मार्च 2019 को हुआ.
वे झारखंड पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहे और झारखंड आंदोलन के लिए नागपुरी कविताएं और गीत गाए, जिससे झारखंड के निर्माण में योगदान मिला. वे समाज में परिवर्तन लाने के इच्छुक थे और नागपुरी भाषा के माध्यम से समाज के विकास के लिए कार्य करते थे. वे हमेशा व्यक्ति, समाज और राज्य के विकास के बारे में सोचते रहते थे.इससे पहले, रणविजय नाथ शाहदेव की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया और दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई. छात्राओं ने स्वागत गीत गाए. अतिथियों को अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.रणविजय नाथ शाहदेव ने नागपुरी भाषा के गीतों से समाज को जागरूक किया – मधु मंसुरी पद्मश्री मधु मंसुरी हसमुख ने कहा कि शाहदेव नागपुरी गीतों के कवि थे और उन्होंने समाज को गीतों के माध्यम से जागरूक किया. वे झारखंड आंदोलन के लिए लड़े. भारत में यह पहला राज्य बना, जहां क्षेत्रीय भाषाओं को कॉलेजों में पढ़ाया जाने लगा. इसके बाद आदिवासी और मूलवासी की रोजगार की संभावनाएं बढ़ गईं.नागपुरी भाषा के अध्यक्ष डॉ. रामप्रसाद ने कहा कि शाहदेव ने ‘पझरा’ पत्रिका का संपादन किया और रचनाओं व कहानियों के माध्यम से नागपुरी भाषा को जीवित रखने का काम किया. वे हमेशा नागपुरी शब्दों का उपयोग करते थे.पद्मश्री महावीर नायक ने कहा कि शाहदेव ने गीत और कविताएं लिखीं. उनकी रचनाओं को पढ़ने, लिखने और समझने की जरूरत है. इस अवसर पर कुलपति डॉ. त्रिवेणी नाथ साहु, डॉ. राम प्रसाद, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. उमेश नंद तिवारी, श्री क्षितिज कुमार राय, हिंदी विभागाध्यक्ष जीदन सिंह मुंडा ने भी छात्रों को संबोधित किया. मौके पर यशोदा देवी, अजय नाथ शाहदेव, कृतिमान नाथ शाहदेव समेत सैकड़ों छात्र उपस्थित थे.
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