Ranchi: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सर्वोच्च न्यायालय के राज्यों को बकाया राशि दिए जाने वाले आदेश की गलत तरीके से व्याख्या कर लोगों का ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने चुनाव के समय अनगिनत लोक लुभावना योजनाओं की घोषणा कर दी थी, जिसमें अगले 5 वर्षों में ढाई लाख करोड़ से ज्यादा का खर्च आने का अनुमान है. राज्य अपने आंतरिक स्रोत से यह पैसा जुटाने में असफल है, इसलिए मुख्यमंत्री सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का गलत नैरेटिव बना रहे हैं.
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सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की व्याख्या
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 2024 के अगस्त में मिनरल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया एवं अन्य के मामले में ऐतिहासिक निर्णय दिया था. इस आदेश में यह स्पष्ट किया गया था कि यह आदेश उन सभी राज्यों पर भी लागू होगा जो इस केस में पार्टी नहीं थे.
भाजपा का आरोप
प्रतुल शाहदेव ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 1.36 लाख करोड़ की राशि का बार-बार जिक्र किया है. लेकिन यह नहीं बताया है कि यह राशि कहां से आई है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 60,000 करोड़ के करीब का मुआवजा इंटरेस्ट के रूप में बन रही है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने बकाया राशि में राज्य सरकारों को इंटरेस्ट लेने से रोक लगाई थी.
राज्यों की बकाया राशि 12 वर्षों में 12 किस्तों में दी जाएगी
प्रतुल ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, राज्यों की बकाया राशि 12 वर्षों में 12 किस्तों में दी जाएगी. इस आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि किस्तों का भुगतान 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होगा और अप्रैल, 2037 तक चलेगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश का स्वागत किया था और कहा था कि झारखंड को 12 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से बकाया राशि मिलेगी. लेकिन अब राज्य सरकार और मुख्यमंत्री केंद्र से 1,36,000 करोड़ के तुरंत भुगतान की मांग कर रहे हैं. यह मांग सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विपरीत है.
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