Dumka : जामा प्रखंड के कुकुरतोपा गांव में दिसोम मारंग बुरु युग जाहेर आखड़ा द्वारा तीन दिवसीय बाहा पर्व हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ. आज पर्व का अंतिम दिन था, जिसे शरदी माह कहा जाता है. इस अवसर पर संताल आदिवासी समुदाय के लोगों ने परंपरा के अनुसार, सादा पानी से बाहा खेला और पर्व का आनंद लिया.
सादा पानी से खेलना परंपरा का हिस्सा
संताल आदिवासी समाज की मान्यता है कि बाहा पर्व सिर्फ सादा पानी से खेला जाता है. अखड़ा के अध्यक्ष सुनील टुडू ने बताया कि पूर्वजों से यह परंपरा चली आ रही है कि बाहा खेलते समय रंगीन पानी का उपयोग वर्जित है. पहले अगर किसी कुंवारी लड़की पर गलती से रंगीन पानी डाल दिया जाता था, तो उसे अशुद्ध (छूत) माना जाता था. इसे शुद्ध करने के लिए रंग डालने वाले व्यक्ति को दंडस्वरूप पांच बकरियां देने की सजा होती थी.
गांव में आपसी भाईचारे का पर्व
शरदी माह के अवसर पर सभी ग्रामीणों ने एक-दूसरे पर सादा पानी डालने के बाद सामूहिक भोज का आयोजन किया. इस पर्व ने समाज में आपसी प्रेम और भाईचारे को मजबूत करने का संदेश दिया.
उत्सव में शामिल प्रमुख लोग
इस अवसर पर नायकी सिकंदर मुर्मू, लुखिन मुर्मू, बाबुधन टुडू, रुबिलाल मुर्मू, विनोद मुर्मू, रफ़ायल टुडू, वीरेंद्र सोरेन, श्रीलाल मुर्मू, विवेक मुर्मू, मणिलाल मुर्मू, राजेंद्र मुर्मू, लालमुनि हेम्ब्रम, मर्शिला मरांडी, सोनोत मुर्मू, गोपीचंद राणा, एलिजाबेथ हेम्ब्रम और जोबा हांसदा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.