Guwahati : असम में इन दिनों राजनीतिक तापमान चरम पर है. हिमंत बिस्व सरमा के CM बनने के बाद पुलिस हिरासत में 23 लोगों को गोली मारे जाने को लेकर विपक्ष हमलावर है. साथ ही मानवाधिकार आयोग ने भी इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है. जान लें कि असम की भाजपा सरकार लगातार अपराधियों के खिलाफ सख्त रवैया अपना रही है. सीएम भी इस बारे में कई बार चेता चुके हैं विपक्ष ने इन मामलों को राज्यपाल के सामने उठाते हुए दावा किया कि पिछले दो माह में असम में 30 से ज्यादा मुठभेड़े हुई हैं, जिनमें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये आरोपी घायल हुए हैं या मारे गये हैं.
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पुलिस ने पदो माह में 10 उग्रवादियों को ढेर कर दिया
बता दें कि हिमंत बिस्व सरमा ने 10 मई को सीएम के तौर पर कार्यभार संभाला था. तब से लेकर अब तक 23 लोगों को पुलिस कस्टडी में गोली मारे जाने की खबर सामने आयी है. इनमें पांच लोगों की जान भी गयी है. बताया गया है कि जिन लोगों को गोली मारी गयी, उन्हें पुलिस ने दुष्कर्म, हत्या, ड्रग्स तस्करी, डकैती और मवेशी तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था. यह घटनाएं उन एनकाउंटरों से अलग हैं, जिनमें पुलिस ने पिछले दो माह में 10 उग्रवादियों को ढेर कर दिया.
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विपक्ष ने मौजूदा भाजपा सरकार पर बर्बरता के आरोप लगाये हैं
इन मामलों को लेकर विपक्ष ने मौजूदा भाजपा सरकार पर बर्बरता के आरोप लगाये हैं. असम के मानवाधिकार आयोग ने भी इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है. हालांकि, सीएम हिमंत बिस्व सरमा अपने सख्त रवैये का समर्थन कर रहे है. बुधवार और गुरुवार को उन्होंने विधानसभा में कहा कि उनकी सरकार अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति’ अपनाना जारी रखेगी और वे इसके लिए किसी भी तरह की आलोचना झेलने के लिए तैयार हैं. यहां तक कह दिया कि मेरा पुलिस को साफ निर्देश है कि वे कानून तोड़कर नहीं, बल्कि कानून के दायरे में रहकर काम करें. आप कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें और असम सरकार आपकी रक्षा करेगी.
सीएम ने कुछ दिन पूर्व पुलिस अधिकारियों की कॉन्फ्रेंस में कहा था कि पुलिस द्वारा भागने की कोशिश कर रहे अपराधियों पर फायरिंग करने में कुछ भी गलत नहीं है. कहा था कि पुलिसकर्मी ऐसे लोगों को सीने पर गोली नहीं मार सकते, पर पैर पर गोली मारना कानूनी रूप से सही है.
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पशु तस्करी से जुड़े 504 लोगों को गिरफ्तार किया गया
हिमंत बिस्व सरमा गुरुवार को विधानसभा में जानकारी दी कि पिछले दो माह में पशु तस्करी से जुड़े 504 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और इनमें चार लोग पुलिस की गोलियों में घायल हुए. यह भी कहा कि पुलिस ने अब तक आरोपियों के साथ सबसे बेहतर बर्ताव करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि किसी के साथ संवेदना जताना अहम है. साथ ही गलत मामलों में संवेदना जताने को बेहद खतरनाक करार दिया.
बता दें कि असम मानवाधिकार आयोग ने सात जुलाई को सरकार से पुलिस फायरिंग में मारे गये आरोपियों की मौतों की स्थिति स्पष्ट करने के लिए इंक्वायरी कराने की मांग की थी. आयोग के एक सदस्य नाबा कमल बोरा ने कहा था कि रिपोर्ट्स के अनुसार मारे गये लोग सभी कस्टडी में थे. उन्हें हथकड़ी लगी हुई थी, इसलिए हम जानना चाहते हैं कि आखिर असल में क्या हुआ.