Jamshedpur (राजलक्ष्मी) : ग्रीन सिटी से ड्रीम सिटी तक सफलता की पहुँच लंबी जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं. मानगो की रहनेवाली एकता श्री 18 जून को रिलीज हुई विद्या बालन स्टारर फ़िल्म शेरनी में फॉरेस्ट ऑफिसर के तौर पर नजर आने के बाद अब जल्द ही संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बन रही फ़िल्म गंगूबाई काठियावाड़ी में नज़र आने वाली है.
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संजय भंसाली के साथ काम करना एकता के लिए सपने जैसा
इस फ़िल्म में एकता आलिया भट्ट के साथ अभिनय स्क्रीन शेयर करते नज़र आएगी. बतौर एकता गंगूबाई काठियावाड़ी में संजय लीला भंसाली के निर्देशक में काम करना मेरे लिए किसी सपने की तरह था. बचपन से अबतक सिर्फ उनकी फिल्मों का जादू देखा, लेकिन साथ काम करने के बाद मैंने उस जादू को महसूस भी किया है. मैं सेट पर वह पहला दिन कभी नहीं भूल सकती जब सारे एक्टर्स एक साथ इकट्ठा थे और संजय सर सभी को उनके रोल की बारीकियों को समझा रहे थे. ये बारीकियां ही हैं जो हमें उनकी फिल्मों में जादू की तरह देखने को मिलती है.
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डेली शोप, ड्रामा, और शॉर्ट फिल्म के बाद मिली असली मंजिल
आंखों में एक्टिंग का सपना सजाए एकता जब मुंबई निकली थी तो चीज़ें उतनी आसान नहीं थी, जितनी आज दिखती हैं. लंबी मेहनत और कई रिजेक्शन के बाद आज वह खुद को बॉलीवुड सिनेमा का एक छोटा सा हिस्सा मानती है. शुरुआत में एकता श्री ने डेली शोप किया, कई ड्रामा शोज़ का हिस्सा रही. गवर्नमेंट एड्स किए. कई शॉर्ट फिल्मों में अभिनय किया. लेकिन अब शेरनी के बाद गंगूबाई काठियावाड़ी से लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने लगी.
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ओटीटी प्लेटफॉर्म ने बदले हैं मुख्य किरदार के मायने
एकता श्री कहती हैं कि मेरा सपना कभी भी बॉलीवुड में मुख्य किरदार करना नहीं रहा बल्कि मैं हमेशा से ही अच्छी फिल्में करना चाहती थी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रही कि मैं अच्छे रोल्स करूँ. जबसे ओटीटी प्लेटफॉर्म आया है तबसे लोगों के नज़रिए में मुख्य किरदार की धारणा में भी बदलाव आया है. अब हमारी ऑडिएंस भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अच्छे अभिनय वाली रियलिस्टिक सिनेमा देखना ज्यादा पसंद करती है. ऐसे में नए टैलेंट के लिए कई तरफ से दरवाज़े खुले है.
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प्लस 1 से ही थियटर से जुड़ गई थी एकता
एकता श्री के पिता पटमदा के सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं. इस कारण एकता की पहली से पांचवीं तक कि पढ़ाई पटमदा में हुई. नौ साल की उम्र में वह जमशेदपुर आई. यहां पांचवीं से दसवीं तक की पढ़ाई बाराद्वारी स्थित पीपुल्स एकेडमी और कॉमर्स ग्रेजुएट तक की पढ़ाई ग्रेजुएट कालेज से पूरी की. इस बीच थिएटर को लेकर वह खींची चली गई. प्लस वन से ही वह थिएटर में रम गई. लेकिन ग्रेजुएट होने तक उसे घर से कहीं बाहर जाने की परमिशन नहीं थी.
6 साल के लंबे प्रयास के बाद मिली बॉलीवुड में पहचान
अपनी पढ़ाई पूरी कर एकता मुम्बई की ओर बढ़ गई. छः साल के लंबे संघर्ष के बाद एकता ने बॉलीवुड में अपनी पहचान हासिल की. लेकिन अब भी जमशेदपुर को वह बहुत खास मानती है. वह कहती है जमशेदपुर से ही मुझे खुद को साबित करने की हिम्मत मिली. मेरा बचपन इसी शहर में बिता है और मैंने यहां से बहुत कुछ सीखा है. जमशेदपुर मेरे लिए किसी सुकून को याद करने की तरह है. कुछ समय पहले भी जब जमशेदपुर आई थी तो अपने स्कूल और कॉलेज, जो तब बन्द थे को काफी देर तक देखते रही. मेरे लिए वह वक्त सबसे खास था.
बॉलीवुड के पहले रीजनल सिनेमा के लिए करें खुद को तैयार
एकता श्री यूं तो जमशेदपुर के मानगो में रहती है. लेकिन बिहार से भी वह खुद को काफी जुड़ा महसूस करती है. नालंदा के धर्मपुर उनका दादी घर है जबकि हरनौत के अरौत गांव में उनका ननिहाल है. एकता कहती है कि जमशेदपुर में रहते हुए जो लोग बॉलीवुड सिनेमा के सपने देख रहें है, वह खुद को कॉन्सेप्ट और बेहतरीन रीजनल सिनेमा के लिए तैयार कर लें. ऐसी बहुत सी बेहतरीन फिल्में है जिसे देखने से सिनेमा के प्रति समझ और अधिक बढ़ जाती है.
प्रतिभा बहती नदी जैसी, ज्यादा देर रोक पाना मुश्किल
वह आगे बताती हैं कि जमशेदपुर अन्य शहरों के मुकाबले थोड़ा अलग है. यहाँ लोगों के पास बहुत टैलेंट है लेकिन मेट्रो सिटीज में प्रतिस्पर्धा बहुत जबरदस्त है. सबसे पहले तो खुद को इसके लिए तैयार करने की जरूरत है. एक दिन मेहनत जरूर रंग लाएगी. वैसे भी प्रतिभा बहती नदी की तरह होती है जिसे ज्यादा देर तक थाम कर नहीं रखा जा सकता है.