New Delhi: कांग्रेस संगठन में नेतृत्व पर एक बार फिर से घमासान हो रहा है. इस अंदरूनी घमासान को रोकने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को अहम बैठक बुलायी थी. लेकिन इस पर अभी भी कोई समाधान नहीं निकला है. पार्टी हाईकमान ने कांग्रेस की दशा-दिशा सुधारने के लिए चिंतन शिविर बुलाने जैसे सुझावों को तत्काल मान लिया. मगर असंतुष्ट जी-23 गुट के नेता कांग्रेस संसदीय बोर्ड के गठन से लेकर पार्टी में सामूहिक नेतृत्व की अपनी बात पर अब भी अडिग हैं.
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राहुल गांधी फिर बन सकते हैं अध्यक्ष
जानकारी के अनुसार नेतृत्व के करीबी नेताओं ने राहुल गांधी को दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की पैरोकारी की. इस बात पर कई नेताओं ने तालियां बजाईं तो कई मौन रहे. लेकिन किसी ने भी इस पर एतराज नहीं जताया. पार्टी हाईकमान और असंतुष्ट खेमे के बीच इस पर सहमति जरूर बनी कि कांग्रेस के मौजूदा संकट के समाधान के लिए बातचीत का यह दौर आगे जारी रहेगा.
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पांच घंटे की लंबी बैठक के बाद भी नहीं बन सकी सहमति
नेतृत्व को लेकर लंबे समय से जारी असमंजस के साथ कांग्रेस कमजोर होती नजर आ रही है. जमीन पर असंतुष्ट गुट के नेताओं के पत्र विवाद के बाद दस जनपथ में सोनिया गांधी ने पहली बार इन नेताओं के साथ पांच घंटे की लंबी बैठक की. इसमें जी-23 के नेताओं के साथ हाईकमान के कुछ करीबी नेता, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा मौजूद थीं. सूत्रों के अनुसार, बैठक में असंतुष्ट खेमे की अगुआई कर रहे गुलाम नबी आजाद ने आखिर में कहा कि बेशक पत्र में उठाए गए मुद्दों पर चर्चा शुरू हुई मगर उनका समाधान निकलना बाकी है.
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राहुल बोले, वरिष्ठ नेताओं की है अहमियत
वरिष्ठ नेताओं के साथ रिश्तों को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं का कांग्रेस में अहम महत्व है और वह उनका पूरा सम्मान करते हैं. खासकर इनमें से कई वरिष्ठ नेता उनके पिता राजीव गांधी के दोस्त रहे हैं. वहीं, अंबिका सोनी ने कहा कि राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष पद सौंप दिया जाना चाहिए. राजस्थान के मुख्यमंत्री व दिग्गज नेता अशोक गहलोत ने इससे सहमति जताई तब अजय माकन, पवन बंसल, एके एंटनी, भक्त चरण दास सरीखे हाईकमान के करीबी नेताओं ने तालियां बजाईं, जबकि असंतुष्ट खेमे के नेताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखायी.
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