Vinit Upadhyay
Ranchi: लॉकडाउन के दौरान बंद किये गए सभी संस्थानों और सरकारी कार्यालयों को खोलने का आदेश दिया जा चुका है लेकिन अभी भी झारखंड की न्याय व्यवस्था वर्चुअल माध्यम से ही संचालित हो रही है. अब इससे राज्य के अधिवक्ता व्याकुल हो रहे हैं. लंबे समय से राज्य के अधिवक्ता मौजूदा ऑनलाइन व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहे हैं. इस मांग के लिए उठ रही आवाज़ अब आंदोलन का रूप ले सकती है. झारखंड स्टेट बार काउंसिल के मिडिया प्रभारी संजय विद्रोही ने कहा है की राज्यभर के वकीलों की आर्थिक स्थिति चरमरा गयी है. आलम ये है की अपना परिवार चलाने के लिए अधिवक्ता वकालत छोड़कर किसी दूसरे रोजगार की तरफ देख रहे हैं और इस गंभीर परिस्थति में भी काउंसिल के द्वारा वकीलों के लिए न तो किसी तरह की आर्थिक मदद की जा रही है और न ही रेगुलर कोर्ट की दिशा में ठोस कदम उठाये गए हैं. ऐसे में काउंसिल के मेंबर होने के बावजूद रेगुलर कोर्ट की मांग को लेकर 4 जनवरी को वे अकेले पैदल मार्च कर हाईकोर्ट और स्टेट बार काउंसिल के कार्यालय जाकर ज्ञापन सौंपेंगे.
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झारखंड के हज़ारों वकील हैं परेशान
स्टेट बार काउंसिल के सदस्य रामसुभग सिंह ने भी वकीलों की आर्थिक स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा की स्टेट बार काउंसिल को रेगुलर कोर्ट की दिशा में आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने चाहिए. दिसंबर के अंत में स्टेट बार काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक होनी है जिसमे रेगुलर कोर्ट एक अहम मुद्दा हो सकता है. लेकिन इन सब के बीच वकालत के पेशे को जूनून के रूप में काले कोर्ट के साथ शुरू करने वाले झारखंड के हज़ारों वकीलों को अपना भविष्य अन्धकारमय दिख रहा है. ऐसे में जरूरत है वकीलों के दर्द को समझते और संक्रमण को ध्यान में रखते हुए वर्चुअल कोर्ट का विकल्प तलाशा जाए.
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