Bokaro: हम जहां जिस स्कूल में भी शिक्षा लेते हैं, वह हम सभी के लिए शिक्षा का मंदिर है. पर जब उस संस्थान के निदेशक के द्वारा या फिर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की टीम के द्वारा उस मंदिर के लिए जालसाजी कर मान्यता लिया गया हो, तो उसे आप क्या कहेंगे. बोकारो के रहने वाले डॉ राज कुमार के द्वारा बोकारो स्टील प्लांट से वर्ष 2019 के अक्टूबर माह में RTI के माध्यम से यह मांग की थी कि बोकारो जिले से संचालित होने वाले स्कूलों को कब और कितनी भूमि आवंटित की गई है. इसके आलोक में बोकारो स्टील प्लांट (BSL) 07-01-2020 में कई स्कूलों को आवंटित जमीन का व्योरा दिया गया. जिसके बाद बाद तीन स्कूलों का गोलमाल सामने आया. जिसमें सरदार पटेल पब्लिक स्कूल, क्रिसेंट पब्लिक स्कूल और मिथिला अकैडमी शामिल हैं. आखिर आप भी सोच रहे होंगे कि इसमें गोलमाल क्या है. मामला यह है कि इन स्कूलों को बीएसएल की ओर से 50-50 डिसमिल जमीन स्कूल के लिए 33 साल के लीज पर दी गयी है. परन्तु इन तीनों स्कूलों के डायरेक्टर ने सीबीएसई को जमीन का रकवा बढ़ा कर स्कूल के नाम पर एफिलिएशन करा लिया. जबकि नियमतः स्कूल का मान्यता नहीं होनी चाहिए थी.
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सीबीएसई मान्यता के लिए कितनी जमीन चाहिए ?
जिला शिक्षा पदाधिकारी नीलम आइलीन टोप्पो ने कहा है कि मामला संज्ञान में आया है. आगे जांच कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में सीबीएसई की मान्यता के लिए दो एकड़ जमीन की बात कही है. इधर आरटीआई मांगने वाले डॉ राजकुमार बताते हैं कि इसमें स्कूल प्रबंधक के द्वारा जमीन का गलत पेपर प्रस्तुत कर सीबीएसई से मान्यता करवा लिया गया है. लेकिन सीबीएसई एफिलिएशन देने के पूर्व सीबीएसई से एक टीम आकर सभी चीजों की जांच करती है. वावजूद उसके इन तीनों स्कूलों को सीबीएसई से अफलियेशन मिल जाता है, तो इसमें सीबीएसई के अधिकारियों की मिली भगत से इनकार नहीम किया जा सकता है. ऐसे जालसाजी करने वालों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई करनी चाहिए.
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