Anand Kumar
पूरा झारखंड इन दिनों ठंड से ठिठुर रहा है, लेकिन सूबे का सियासी माहौल अचानक सरगर्म हो उठा है. कोर्ट में याचिकाओं से लेकर व्यक्तिगत स्तर तक आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला लगातार जारी है, लेकिन गुरुवार को एक युवती ने राज्य के राजनीतिक प्याले में तूफान उठा दिया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक वीडियो जारी हुआ, जिसमें खुद को आयशा खान बतानेवाली एक युवती यह कहती नजर आयी कि- “मुझे ब्लैकमेल, डराया और धमकाया जा रहा है. मैंने पुलिस को कंपलेंन भी मेल किया है. और मेरे बारे में बहुत गलत-गलत ट्वीट कर रहे हैं. मुझे बहुत डर लग रहा है. मैं बस पुलिसवालों से यही चाहती हूं कि अगर मुझे कुछ हो जाये, तो इसके जिम्मेदार जहूर आलम, सुनील तिवारी, बाबूलाल मरांडी और निशिकांत दुबे, यही चारों होंगे.” सनद रहे कि भाजपा के नेता अब तक आयशा को वही युवती बता रहे हैं, जिसने वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ दुष्कर्म सहित कई धाराओं में मजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा दर्ज कराया था और सुनवाई के पहले ही इसे वापस भी ले लिया था.
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इस घटना के सात साल बाद 29 जुलाई, 2020 को गोड्डा से भाजपा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने सुबह-सुबह ट्विटर पर नये-नये तख्तनशीं हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरन के खिलाफ युद्ध का शंखनाद कर दिया. उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, झारखंड के डीजीपी और कुछ गुंडे-माफियाओं के माध्यम से दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीड़िता की हत्या करा सकते हैं. इस ट्वीट के बाद दोपहर होते-होते पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी भी डॉ निशिकांत दुबे के पक्ष में खुलकर कूद पड़े और राज्य की पुलिस को कटघरे में ला खड़ा किया. एक दिन पहले भी 28 जुलाई को सांसद दुबे ने दुष्कर्म के उक्त मामले का हवाला देते हुए ट्वीट किया था कि सुप्रीम कोर्ट भी दुष्कर्म जैसे मामलों में समझौते की इजाजत नहीं देता है. उन्होंने महाराष्ट्र के गृह मंत्री से मामले की जांच कराने को लेकर पत्र लिखा और इसे सार्वजनिक भी कर दिया. दूसरी ओर बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सोरेन को निशाने पर लेते हुए ट्वीट किया कि पार्टी का एजेंट बनकर लठैती कर रही झामुमो पुलिस के बल पर आप राज्य में कानून-व्यवस्था और न्याय का शासन चलाना चाहते हैं?
निशिकांत दुबे और बाबूलाल मरांडी के इस हमले के जवाब में झारखंड मुक्ति मोरचा ने डॉ निशिकांत दुबे की एमबीए डिग्री को फर्जी बताने के कथित सबूत सार्वजनिक किये और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सांसद निशिकांत के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया. दुबे के ट्वीट और पोस्ट के जरिए अपनी सार्वजनिक छवि खराब करने के आरोप में उन्होंने ट्विटर और फेसबुक को भी पार्टी बना दिया. दूसरा बड़ा कदम उठाते हुए भाजपा विधायक दल का नेता घोषित किये जाने के बावजूद सत्ता पक्ष ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने से इनकार कर दिया. मुद्दा यह बना कि बाबूलाल मरांडी ने जब अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का भाजपा में विलय किया, वह अवैध था और इसी कारण से विधानसभा के स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने उनके खिलाफ दसवीं अनुसूची के उल्लंघन मामले में नोटिस कर दिया. बाबूलाल ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी कि स्पीकर को दल-बदल मामले में स्वतः संज्ञान लेने का अधिकार ही नहीं है. इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया, जब बाबूलाल मरांडी की तरफ से कैविएट दाखिल कर दिया गया.
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पिछले पांच महीने से दोनों पार्टियों की तरफ से राजनीतिक नूराकुश्ती जारी है. सियासत की जंग अदालत में लड़ी जा रही है और अब बेहद निजी स्तर पर पहुंच गयी है. भाजपा की तरफ से डॉ निशिकांत दुबे और बाबूलाल मरांडी ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ सबसे ज्यादा हमलावर हैं. दो दिन पहले भी बाबूलाल मरांडी ने दुमका में मुख्यमंत्री से नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग की है. उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है. इसलिए नीति का तकाजा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपने पद से अविलंब इस्तीफा देना चाहिए और खुद इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा करनी चाहिए. बाबूलाल और निशिकांत लगभग रोजाना ही इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर हमलावर हैं. अब झामुमो ने भाजपा के हमले के जवाब में कथित रूप से उसी मॉडल का वीडियो जारी कर दिया, जिसे कथित दुष्कर्म का शिकार बताया जा रहा है. इस वीडियो में कथित आयशा खान भाजपा नेताओं और उनके करीबियों पर ही आरोप लगाती नजर आ रही है.
2013 में इस युवती ने कोर्ट में अपने साथ मुंबई के होटल ताज लैंड्स एंड में 5 सितंबर 2013 को रेप किये जाने की शिकायत की थी. बाद में में उसने अपनी शिकायत वापस ले ली. सात साल बाद 28 जुलाई, 2020 से डॉ निशिकांत दुबे ने इस मामले को फिर से उठाना शुरू किया और 8 दिसंबर, 2020 को आयशा एक बार फिर सामने आयी और उसने मुंबई के बांद्रा पुलिस स्टेशन में आवेदन देकर कहा कि 8 अगस्त, 2020 को गुजरात जाते समय उसकी कार का एक्सीडेंट हो गया था. उसके बाद उसे यह लग रह है कि चार लोग उसका हमेशा पीछा करते हैं. उसने फिर से 2013 के वापस लिए गये केस को दर्ज करने की गुहार लगाते हुए अपने लिए सुरक्षा भी मांगी और अब वह कथित आयशा एक वीडियो में भाजपा नेताओं पर ब्लैकमेलिंग, डराने-धमकाने और किसी अनहोनी के होने पर उसका जिम्मेदार ठहराने की बात कह रही है.
अगर यह वही आयशा है, तो इसकी जांच होनी चाहिए कि उसके किस आरोप में कितनी सच्चाई है. क्या वह वास्तव में पीड़ित है या वह आज की गंदी राजनीति का वह भद्दा चेहरा है, जिसे बारी-बारी दोनों पक्ष मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. जांच इसकी भी होनी चाहिए कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ मामला दर्ज करानेवाली यह कथित मॉडल 2013 से अब तक कहां थी, क्या कर रही थी और किन लोगों के संपर्क में थी. सवाल यह भी है कि अगर बाबूलाल मरांडी और डॉ निशिकांत दुबे आयशा को न्याय दिलाना चाहते हैं, तो आयशा को उनसे डर क्यों लगता है? ये ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब आयशा ही दे सकती है,.
राजनीति में महिलाओं को चारे की तरह इस्तेमाल करने की चाल नयी नहीं है. राजनेताओं के चरित्र पर लांछन पहले भी लगते रहे हैं. कई बार यह सही होते हैं और कई बार नहीं भी. इन्हीं के बीच सियासी शतरंज के माहिर खिलाड़ी अपनी चाल चलते और बदलते रहते हैं. कहीं आयशा इसी चाल का एक मोहरा तो नहीं? आनेवाले दिनों में झारखंड की सियासी शतरंज का यह ऊंट किस करवट बैठेगा, यह देखना दिलचस्प होगा.
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