Kathmandu : नेपाल में अपनी जमीन हिलती देख चीन रेस हो गया है. खबर है कि चीनी राजदूत हाओ यांकी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के विरोधी पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को साधने में जुट गयी हैं. बता दें कि चीनी राजदूत पहले नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मिली. उसके बाद आज गुरुवार को प्रचंड से मुलाकात की.
मध्यावधि चुनाव में उतरने के फैसले से चीन को करारा आघात लगा है
पुष्प कमल दहल के निकटस्थ सूत्रों के अनुसार लगभग 30 मिनट तक चली मुलाकात के क्रम में प्रचंड और चीनी राजदूत ने वर्तमान राजनीतिक हालातों पर मंथन किया. इस संबंध में प्रचंड के करीबी नेता बिष्णु रिजल ने ट्वीट कर कहा कि इस मुलाकात में द्विपक्षीय चिंता के मुद्दों पर चर्चा की गयी.
सूत्रों के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा मध्यावधि चुनाव में उतरने के फैसले से चीन को करारा आघात लगा है. जान लें कि ओली के कंधे पर बंदूक रखकर चीन भारत पर निशाना साधता रहा था.
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नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दो गुटों में बंट गयी है
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट की मानें तो पीएम ओली के इस फैसले के बाद अब नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में ऐसा गुट आगे आ सकता है जो चीन का कम समर्थन करता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दो गुटों में बंट गयी है, जो चुनाव से पहले दो भागों में टूट सकती हैय.
बता दें कि नेपाल में अप्रैल में मध्यावधि चुनाव संभावित हैं. चीन को डर हे कि चुनाव में नेपाली कांग्रेस सत्ता में आ सकती है. जान लें कि नेपाली कांग्रेस के लंबे समय से भारत के साथ अच्छे रिश्ते हैं.
चीन लगातार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में जारी तनाव कम करने के प्रयास में लगा हुआ था
जानकारों के अनुसार चीन लगातार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में जारी तनाव कम करने के प्रयास में लगा हुआ था. वैसे पार्टी के कुछ नेता पीएम केपी ओली से नाराज थे. ये लोग विद्रोह के स्वर बुलंद कर रहे थे और अविश्वास प्रस्ताव की धमकी दे रहे थे. यह किसी से छुपा हुआ नहीं थी कि ओली सरकार चीन के इशारे पर नाच रही थी. चीनी राजदूत नेपाल सरकार के कामकाज पर हावी थी. सूत्रों के अनुसार चीनी राजदूत के इशारे पर ही ओली सरकार ने देश का नया नक्शा जारी किया था.