LagatarDesk : आरबीआई ने आज कैलेंडर ईयर 2021 की चौथी मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा है. इस बार भी आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. यह लगातार सातवीं बार है, जब मॉनिटरी पॉलिसी रेट को नहीं बदला गया है. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 4 फीसदी पर बरकरार रखा है. वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी पर स्थायी है. बैंक रेट 4.25 फीसदी पर बरकरार है.
Reserve Bank of India keeps repo rate unchanged at 4%, maintains accommodative stance pic.twitter.com/fAhHBio4OR
— ANI (@ANI) August 6, 2021
जीडीपी ग्रोथ रेट में 9.5 फीसदी पर बरकरार
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 9.5 फीसदी बरकरार रखा है. हालांकि शक्तिकांत दास ने अलग-अलग तिमाही के लिए इसके अनुमानों में बदलाव किया है. आरबीआई के गवर्नर ने जून तिमाही के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 18.5 फीसदी के बढ़ाकर 21.4 फीसदी कर दिया.
सितंबर तिमाही के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 7.9 फीसदी से घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया गया. वहीं दिसंबर तिमाही के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 फीसदी से घटाकर 6.3 फीसदी किया. चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2022 के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 6.6 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी किया गया. यह ग्रोथ रेट सालाना आधार पर किया गया है.
इसे भी पढ़े : Tokyo Olympics : पहलवान बजरंग पूनिया सेमीफाइनल में पहुंचे , ईरान के पहलवान गियाजी मुर्तजा को धूल चटायी
महंगाई दर का अनुमान बढ़ाया गया
आरबीआई ने बढ़ती महंगाई के बीच खुदरा महंगाई दर के अनुमान को रिवाइज किया है. एमपीसी का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में रिटेल इंफ्लेशन 5.7 फीसदी रहेगी. वहीं चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.9 फीसदी, तीसरी तिमाही में 5.3 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है. रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के की पहली तिमाही के लिए महंगाई के अनुमान को 5.8 फीसदी कर दिया है.
तीसरी लहर में सचेत रहने की जरूरत
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था उबर रही है. कोरोना और लॉकडाउन के कारण डिमांड और सप्लाई में असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि जून के मुकाबले जुलाई में आर्थिक सुधार बेहतर रहा. शक्तिकांत ने कहा कि तीसरी लहर के प्रति सचेत रहने की जरूरत है.
इसे भी पढ़े : 2012 का विवादित रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून खत्म करने पर मोदी सरकार ने लगायी मुहर
तीन दिनों तक चली एमपीसी की बैठक
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार से शुरू हुई थी. बता दें कि आरबीआई की एमपीसी की बैठक हर दो महीने में होती है. इससे पहले मौद्रिक नीति समिति की बैठक जून में हुई थी. पिछले बार भी आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था.
आम-जनता को सस्ती ईएमआई के लिए करना पड़ेगा लंबा इंतजार
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है. रेपो रेट कम होने का मतलब है कि ग्राहकों को बैंक से मिलने वाले कर्ज सस्ते हो जायेंगे. इस बार भी आम-जनता को कोई राहत नहीं मिली. आम-जनता को सस्ती ईएमआई के लिए इस बार भी लंबा इंतजार करना पड़ेगा.
इसे भी पढ़े : शेयर बाजार की फ्लैट शुरुआत, सेंसेक्स 57 अंकों की बढ़त पर खुला, निफ्टी 16300 के पार