Kabul : अफगानिस्ता में एक बार फिर सिख निशाने पर हैं. तालिबानी लड़ाके गांवों से शहर की ओर तेजी से बढ रहे हैं. अमेरिकी सेना के हटते ही तालिबानियों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है. वह भले ही लोगों की सहानुभूती पाने के लिये कट्टरपंथी नीतियों को छोड़ नरमी का ढ़िंढ़ोरा पीट रहा हों, पर उनकी हरकतें पहले जैसी ही जारी हैं. पकतिया प्रांत में पवित्र गुरुद्वारा थाल साहिब की घटना से प्रतीत हो रहा है कि तालिबानियों के मंसूबे ठीक नहीं हैं. तालिबानी लड़ाकों ने पकतिया प्रांत में पवित्र गुरुद्वारा थाल साहिब की छत पर लगे धार्मिक झंडे, निशान साहिब को हटा दिया है. इससे सिख समुदाय मर्माहत है. हालांकि तालिबान ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा है कि इस घटना में उसका कोई हाथ नहीं है.पर जो भी हो यह घटना के बाद सिख समुदाय डरा सहमा है.
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स्थल सिख समुदाय के लिये काफी महत्वपूर्ण
यह स्थल सिख समुदाय के लिये काफी मायने रखता है. कारण इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे में श्री गुरु नानक देव भी आ चुके हैं. देखा जाये तो यह कोई नयी घटना नहीं है. अफगानिस्तान के युद्धग्रस्त इलाकों में कई दशकों से अल्पसंख्यक अफगान सिखों और हिंदुओं के ऊपर अत्याचार होते रहे हैं.
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पिछले साल भी अपहरण की एक घटना हुई थी
पिछले साल भी एक घटना हुई थी जिसमें यहां से निदान सिंह सचदेव नामक सिख का अपहरण कर लिया गया था.यह घटना उस समय हुई जब वह सावन के पहले वे सेवा के लिये गुरूद्वारा आये थे. हालांकि कुछ दिन बाद उन्हें छोड़ दिया गया था.
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1980 से ही भयावह रहा है इलाका
मालूम हो कि पकतिया का इलाका 1980 के दशक से ही भयावह रहा है. यह स्थल कभी मुजाहिदीन और तालिबान-हक्कानी समूह का गढ़ हुआ करता था. इस इलाके में अफगानिस्तान सरकार की कुछ ही नहीं चलती थी. तालिबान का आतंक यहां इस कदर था कि कहा जा सकता है कि उसी का शासन चलता था. इधऱ हाल में अमेरिकी सेना के जाने के बाद उसकी हरकतें और बढ़ गयी है. कुछ दिन पहले तालिबानी लड़ाकों ने पकतिया में सरकारी सलाम टेलिकम्यूनिकेशन नेटवर्क के 11 टावरों को ध्वस्त कर दिया था.