Surjit Singh
हम आपको डराना नहीं चाहते. पर हकीकत यही है. देश का अर्थतंत्र अब चरमराने लगा है. जिसकी आवाज चाहरदिवारी से बाहर सुनाई देने लगी है. सबसे बुरा हाल मिडिल क्लास का है. यह अलग बात है कि मेन स्ट्रीम मीडिया “सबकुछ ठीक है” वाली खबरें ही दे रही है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की ताजा रिपोर्ट आयी है. रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2019 में देश में 8.70 करोड़ लोग नौकरी कर रहे थे. नवंबर 2020 में यह घटकर 6.83 करोड़ रह गयी है. मतलब 21 प्रतिशत की कमी है. इसे आप ऐसे समझे अगर आपके मुहल्ले या गांव में 100 लोग नौकरी कर रहे थे, तो अब सिर्फ 79 लोग ही नौकरी कर रहे हैं.
CMIE का ही एक और आंकड़े हैं. यह आंकड़ा चौंकाने वाला है. साथ ही मेन स्ट्रीम मीडिया किस तरह गलत खबरें दे रहा है, उसका उदाहरण भी. अक्टूबर में बड़े जोर-शोर से मोदी सरकार और मीडिया ने यह प्रचारित किया था कि बाजार ने रफ्तार पकड़ ली है. पर सच ऐसा नहीं है. CMIE हर महीने एक सर्वे करती है. जिसमें यह जानने की कोशिश की जाती है कि कितने प्रतिशत लोग कोई ना कोई कीमती सामान खरीदने की सोच रहे हैं.
– फरवरी, यानी लॉकडाउन से पहले, 27 प्रतिशत लोग कोई ना कोई कीमती सामान (टीवी, फ्रीज, एसी, गहने आदि) खरीदने की सोच रहे थे.
– मई में ऐसा सोचने वालों की संख्या 1.2 प्रतिशत थी. क्योंकि उस वक्त सबकुछ बंद था.
– अक्टूबर माह में ऐसा सोचने वालों की संख्या 7.4 प्रतिशत थी. इसी आंकड़े के भरोसे सरकार और मीडिया यह मान रही थी कि बाजार में सबकुछ ठीक होने वाला है.
– पर, नवंबर माह का जो ताजा आंकड़ा आया है, उसमें ऐसा सोचने वालों की संख्या बढ़ने के बजाय कम हो गयी है. सिर्फ 6.5 प्रतिशत लोग कोई महंगा सामान खरीदने की सोच रहे हैं.
ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि लोगों की आय कम हुई है. नौकरियां खत्म हो गयी हैं या कम हो गयी हैं. और इस तथ्य को छिपाने का काम किया जा रहा है.
एक और सर्वे का तथ्य भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं. लोकल सर्कल नामक संस्था साल में दो सर्वे करती है. इसके दिसंबर के सर्वे में यह बात सामने आया है कि 68 प्रतिशत लोगों की बचत में कमी आ गयी है.
ये कौन लोग हैं, जो बाजार से कुछ खरीदने की नहीं सोच रहे. जिनकी बचत में कमी आ गयी है. ये वही हैं मिडिल क्लास के लोग. जो नौकरी करते हैं या छोटे-मोटे व्यवसाय करते हैं. यही मिडिल क्लास बाजार को भी संभालता है. उद्योग भी चलाता है और सबसे अधिक परेशान भी होता है.
अब सवाल उठता है कि मिडिल क्लास की स्थिति ऐसी क्यों हो गयी है. इसकी वजह यह है कि कोरोना काल में मोदी सरकार ने इनके लिए कुछ खास नहीं किया.
उद्योगपतियों, यानी बड़े लोगों के लिए मोदी सरकार बहुत कुछ कर रही है. लोन माफी से लेकर तमाम तरह की कार्यक्रमों से जोड़ रही है. गरीबों के लिए भी कुछ ना कुछ कर रही है. पर, मिडिल क्लास के लिए, कुछ नहीं. जिनकी नौकरी गयी है, जिनकी आय कम हुई है, जो बढ़ती महंगाई से परेशान हैं, उनके लिए स्थिति ठन-ठन गोपाल वाली है.
आज नहीं तो कल सरकार को यह समझना ही होगा कि मीडिल क्लास अगर बाजार नहीं जायेगा, तो बाजार पटरी नहीं लौट पायेगा. और बाजार पटरी पर नहीं लौटेगा तो उद्योग में उत्पादन कम होगा. और नौकरी में छंटनी होती ही रहेगी.