Jamtara: जिले का लाधना डैम आज हर किसी को आकर्षित कर रहा है. जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित लाधना डैम की प्राकृतिक छटा निराली है. यहां पर्यटकों के लिए वाटर स्पोर्ट्स की संभावनाएं हैं. लोगों का कहना है कि अगर सरकार लाधना डैम के इस तट को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करती है तो यहां के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के द्वार खुल सकते हैं और सरकार को भी टूरिज्म से एक बड़ी राजस्व की आमदनी हो सकती है. जिला मुख्यालय से लाधना डैम तक पहुंचने के लिए पथ निर्माण विभाग की ओर से सड़क का निर्माण किया गया है. पुल भी बने हैं और डैम के किनारे गार्डवाल का भी निर्माण किया गया है.
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वाटर स्पोर्ट्स की है संभावना
लाधना डैम में वाटर स्पोटर्स के लिए भी संभावनाएं पैदा की जा सकती हैं. ऐसा होने से वीरगांव-श्यामपुर, सिजुआ घाट और आगे गुवाकोला तक कई किलोमीटर में डैम का तट है. इस हिस्से में डैम के किनारे पहाड़ों की श्रृंखला है. डैम में बोटिंग के साथ-साथ पानी से जुड़ी अन्य खेलों का भी लुत्फ उठाया जा सकता है. स्थानीय लोगों ने इसके लिए कई बार सरकार के समक्ष प्रस्ताव भी रखा, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. लाधना डैम के किनारे स्थित पहाड़ी के सौंदर्यीकरण के लिए जिला प्रशासन की ओर से सीढ़ियों यात्री शेड का निर्माण किया गया.
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निराला है सूर्यास्त का नयनाभिराम
लाधना डैम के मुहाने पर जामताड़ा व धनबाद जिले की सीमाएं मिलती हैं. ठंड के मौसम में पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान जिला के चित्तरंजन, रूपनारायणपुर, फतेहपुर व अन्य इलाके के लोग भी नववर्ष के दरम्यान पिकनिक मनाने पहुंचते हैं. सैर-सपाटे के लिए प्रकृति ने हर खूबसूरती दी है. यहां संध्या के समय सूर्यास्त का नयनाभिराम दृश्य देखने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं, लेकिन नवंबर व दिसंबर महीने में ही सैलानियों का आगमन होता है.
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