Ranchi : रिंग रोड बनने के बाद से ही भूमि माफियाओं की नजर आदिवासी जमीन पर रही है. वहीं आदिवासी रैयतों को अपनी जमीन बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. सीएनटी भूमि भी बेच दी जा रही है. उस भूमि सीएनटी मुक्त कर दिया जाता है और फिर बेच दी जा रही है. आदिवासी रैयत को यह पता भी नहीं होता कि उनकी भूमि को कब जमीन दलाल ने बेच दी. ऐसे मामले का खुलासा तब होता है, जब जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करने का प्रयास किया जाता है. कुछ ऐसा ही वाकया कांके अंचल के हुसिर मौजा के निवासी फुलो उरांव के साथ हो रहा. इनके पूर्वज ने जिस जमीन को रजिस्ट्री डीड के माध्यम 23 फरवरी 1943 को प्राप्त किया. उस पर अब बलपूर्वक कब्जा का प्रयास किया जा रहा है. फूलो उरांव कहती है कि हमारी जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर दबंग हमारी भूमि पर कब्जा कर रहे हैं.
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क्या है मामला
कांके अंचल सिथत हुसिर गांव निवासी फुलो उरांव के पूर्वज ने हुसिर मौजा स्थित थाना नंबर 1457 खाता नंबर 57 के खतियानी रैयत छेड़ेया उरांव से 23 फरवरी 1947 को निबंधित बिक्री पट्टा द्वारा प्राप्त किया. बिक्री पट्टा से जिस जमीन को प्राप्त किया, उसका रकबा 2.12 एकड़ है. इस भूमि के प्लाट नंबर 1645 की 15 डिसमिल जमीन रिंग रोड के लिए सरकार ने अधिग्रहण कर ली. शेष 60 डिसमिल जमीन फुलो उरांव का दखल-कब्जा चला आ रहा था. यह भूमि रिंग रोड के पास है. इसपर दंबग कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं.
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फुलो उरांव ने मुख्यमंत्री सचिवालय में लगायी गुहार
अपनी जमीन बचाने के लिए फुलो उरांव ने मुख्यमंत्री सचिवालय में भी गुहार लगायी है. मुख्यमंत्री सचिवालय में दर्ज करायी गयी शिकायत में शमशेर अली अंसारी, नौशाद अली, मेराज अंसारी, अमल कुमार सिंह, पल्लवी देवी, अमित नारंग और प्रतिमा झा पर फर्जी जमीन का दस्तावेज तैयार कर किये जा रहे जमीन कब्जा के विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गयी है.