अर्जुन मुंडा, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, भारत सरकार
लगभग 125 करोड़ से अधिक आबादी की महान विरासत वाले भारत की जर्जर हालत से त्रस्त आमजन परिवर्तन की ललक में सिर्फ एक व्यक्तित्व पर नजर लगाए हुए है. एक मामूली किसान से लेकर उद्योगपति और विद्यार्थियों सहित लाखों लोग उनसे प्रभावित हुए हैं तथा भ्रष्टाचार-मुक्त, महंगाई-मुक्त, समर्थ तथा सुदृढ़ भारत के निर्माण के उनके अभियान में शामिल हुए हैं. उनकी दी हुई सबका साथ- सबका विकास-सबका विश्वास की कल्पना अब मूर्त रूप ले रही है. उन्होंने अपने अथक परिश्रम द्वारा स्वयं को विकास-पुरुष सिद्ध किया है, यह मान्यता उन्हें भारत की जनता द्वारा सर्वसम्मानित रूप से दी गयी. विरासत या भाग्य की बदौलत मिली सत्ता के कारण नहीं, बल्कि अनगिनत संकटों और संघर्षों के बीच विकास करके उन्होंने आज लाखों लोगों का दिल जीत लिया है.
कठोर शासक कहे जाने वाले पीएम कोमल हृदयी
ऐसे जननायक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानने-समझने की जिज्ञासा और उत्कंठा विश्व के जनमानस में है. कठोर शासक कहे जानेवाले नरेंद्र मोदी अत्यंत कोमल हृदय के व्यक्ति हैं. उनका हृदय हमेशा पीड़ित-शोषित और अभावग्रस्त लोगों के कल्याण हेतु व्यथित रहता है. कुशल शासक, संगठक, प्रभावी वक्ता, कवि-लेखक-विचारक और दृष्टा जैसे अनेक गुण उनमें कूट-कूटकर भरे हुए हैं, क्योंकि मैं स्वयं उनके सहयोगी के रूप में मंत्रिमंडल में कार्य कर रहा हूँ, मैंने स्वयं इन सभी बातों का अनुभव किया है. 17 सितंबर को हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 70वां जन्मदिवस मनाया. यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण है. हम सदी के महानायक का जन्मदिन उनके विकास कार्यों को समर्पित करते हैं. उनके इस जन्मदिवस पर विश्व ने उन्हें एक अनमोल तोहफा दिया है आज उनकी लोकप्रियता विश्व के सबसे बड़े नेताओं में सर्वाेच्च स्थान पर है. अभी हाल ही में हुए अन्तर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण की ग्लोबल अप्रूवल रेटिंग में वैश्विक नेताओं की तुलना में सबसे अधिक लोकप्रिय नेताओं में मोदी जी का नाम आया, कुल सर्वेक्षण के 66 फीसदी लोगों ने उनकी स्वीकृति प्रदान की. ये सभी उनकी मेहनत और सफलता का परिणाम है.
प्रधानमंत्री ने शासन व्यवस्था में बदलाव की शुरुआत की
‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के आदर्श वाक्य से प्रेरित होकर, प्रधानमंत्री ने शासन व्यवस्था में एक ऐसे बदलाव की शुरुआत की है और समावेशी, विकासोन्मुख और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन का नेतृत्व किया है. प्रधानमंत्री ने अंत्योदय के उद्देश्य को साकार करने और समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को सरकार की योजनाओं और पहल का लाभ मिले यह सुनिश्चित करने के लिए स्पीड और स्केल पर काम किया है. विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने इस बात को माना कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत रिकॉर्ड गति से गरीबी को खत्म कर रहा है. इसका श्रेय केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के हित को ध्यान में रखते हुए लिए गए विभिन्न फैसलों को जाता है.
भारत का सांस्कृतिक गौरव पुनः स्थापित हो रहा
आज भारत दुनिया के सबसे बड़े जनजातीय समाज के विकास कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है. 11 करोड़ से अधिक जनजातीय समाज के हितों को रक्षण और संरक्षण प्रदान करने का कार्य हमारी केंद्र सरकार सुनिश्चित कर रही है. प्रधानमंत्री नरंेेद्र मोदी के नेतृत्व में जनजाति समाज को साथ में लेकर सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मूल मंत्र के साथ देश तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है. भारत का सांस्कृतिक गौरव पुनः स्थापित हो रहा है. जो भारत को उपेक्षा भरी नजरों से देखते थे वही आज भारत की प्रशंसा कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल में 8-8 जनजाति समाज के सांसद को मंत्री बनाकर जनजाति समाज को सम्मान देने का काम किया है. प्रधानमंत्री ने कहा था कि पूरे जनजातीय समाज और आदिवासी साथियों को आश्वस्त करता हूं, आपके जल, जंगल और ज़मीन पर आंच नहीं आएगी, आज ये बात सत्य साबित हो रही है. आज आदिवासी समाज स्वयं को सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर रहा है. जनजातीय समाज जितना मजबूत होगा, देश उतना ही मजबूत होगा. इसी अवधारणा के साथ मोदी 2.0 सरकार कार्य कर रही है.
नौ राज्यों में तैयार हो रहे जनजातीय म्यूजियम
देश को आजाद हुए 75 साल पूरे हो गए हैं. देश के क्रांतिकारीयों और शहीदों को सम्मान देने का कार्य हमारी सरकार कर रही है. आज़ादी के महायज्ञ में हमारे आदिवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान है. इतिहास की किताबों में इसको भी उतना स्थान नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था. देश के 9 राज्यों में इस समय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और उनके संघर्ष को दिखाने वाले म्यूज़ियम्स पर काम चल रहा है. जनजातीय लोगों के सशक्तिकरण के लिए कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए प्रधानमंत्री संकल्पबद्ध हैं. नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय समुदाय के जीवन और आजीविका में सुधार लाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहा है. देश के जनजातीय समुदाय को लाभ प्रदान करने के लिए उत्पादों की गुणवत्ता, केंद्रीकृत विपणन एवं रणनीतिक ब्रांडिंग को बढ़ाने पर विशेष ध्यान मंत्रालय द्वारा दिया जा रहा है. मेरा वन मेरा धन और मेरा उद्यम का लक्ष्य लेकर “ट्राईफेड” इस दिशा में अग्रणी कार्य कर रहा है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वनोपजों (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र और लघु वनोपजों (एमएफपी) के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास योजना के द्वारा जनजातीय समाज के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं. ट्राईफेड द्वारा जनजातीय समुदाय के सशक्तिकरण के लिए कई उल्लेखनीय कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. कई उपलब्धियां विशेष रूप से ध्यान देने योग्य हैं. पिछले दो वर्ष में, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वनोपजों (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र और लघु वनोपजों (एमएफपी) की मूल्य श्रृंखला के विकास योजना ने जनजातीय पारिस्थितिकी तंत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है. इस दौरान खरीद 30 करोड़ रुपये से बढ़कर 1843 करोड़ रुपये हो गई है. वन-धन जनजातीय स्टार्ट-अप, जो इसी योजना का एक घटक है, जनजातीय संग्रहकर्ताओं, वनवासियों और घर वापस आने वाले जनजातीय कारीगरों के लिए रोजगार सृजन के स्रोत के रूप में उभरा है. दो वर्ष से भी कम समय में, ट्राईफेड द्वारा 300 सदस्यीय 2,240 वन धन विकास केंद्र समूहों (वीडीवीकेसी) में समूहित 37,362 वन धन स्वयं सहायता समूहों (वीडीएसएचजी) को स्वीकृत किया गया है, जिनमें से 1,200 वन धन विकास केंद्र समूह चालू हो गए हैं. इससे 6.77 लाख जनजातीय वनोपज संग्रहकर्ताओं को रोजगार मिला है. खुदरा विपणन तंत्र के तहत अब तक कुल 141 ट्राइब्स इंडिया बिक्री केंद्र खोले जा चुके हैं, जो 2015-16 से 43 से कई गुना बढ़ गया है. पिछले कुछ वर्ष में, जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा देने और बाजार के विकास को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में, ट्राईफेड ने तैंतीस आदि महोत्सव आयोजित किए हैं, जहां जनजातीय हस्तशिल्प उत्पादों की एक प्रदर्शनी लगाई जाती है तथा साथ ही बिक्री भी की जाती है, जिसमें 5930 शामिल कारीगरों ने भाग लिया, और 244.79 लाख रुपये की बिक्री अर्जित की गई. यह महत्वकांक्षी योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से चल रही है. प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के विजन को हासिल करने के लिए अनुसूचित जनजातियों की अनूठी चुनौतियों और चिंताओं का समाधान किया जाना चाहिए. जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय समुदायों और उनके क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं को मानते हुए नीति और कार्यक्रम बनाने के लिए समर्पित है और उनके संरक्षण, सशक्तिकरण और विकास के लिए एक विस्तृत ढांचा प्रदान करता है. यह विजन तभी सफल हो सकता है जब जनजातीय समुदाय के लोग अपने अधिकारों तथा हक के प्रति जागरूक हों और अंतिम स्थान तक डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत संस्थागत व्यवस्था हो तथा कोई जनजातीय परिवार पीछे नहीं छूटे. मैं जनजातीय कार्य मंत्री होने के नाते कहता हूं कि वन अधिकार अधिनियम इस विजन की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कानून है. इसे कारगर ढंग से लागू करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण तथा विभिन्न हितधारकों, जनजातीय समुदायों, उनके प्रतिनिधियों, अधिकारियों और नोडल एजेंसियों के क्षमता सृजन की आवश्यकता है. स्थानीय समुदायों का आगे प्रशिक्षण तभी संभव है जब मास्टर प्रशिक्षक और संसाधन व्यक्ति ब्लॉक तथा जिला स्तर पर उपलब्ध हों. अच्छी राष्ट्रीय व्यवस्था बनाना और हमारे लोकतंत्र में जनजातीय लोगों का सही गवर्नेंस सुनिश्चित करना ही हमारा कर्तव्य है. मैं कहता हूं कि राष्ट्रीय कार्यक्रम वन अधिकार अधिनियम के ज्ञान आधार को बढ़ाने तथा जनजातीय समुदाय का विकास सुनिश्चित करने के कार्यक्रम तैयार किए गए हैं ऐसे विषयों से सामुदायिक अधिकारों, सामुदायिक वन संसाधनों को समझने, वन गवर्नेंस के लिए कानूनी धारकों को सशक्त बनाने में सहायता मिलेगी.
स्वतंत्रता की शताब्दी वर्षगांठ तक अहम ओहदे पर पहुंच जाएंगे एकलव्य के छात्र
अनुसूचित जनजाति समुदाय के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और उनके उत्थान के लिए उनके द्वारा परिकल्पित शिक्षा की व्यवस्था है एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय. आदिवासी युवाओं के बेहतर भविष्य निर्माण की दिशा में कार्य करने के लिए ईएमआरएस जनजातीय कार्य मंत्रालय का प्रमुख कार्यक्रम है और यह परिकल्पना की गई है कि ईएमआरएस में शिक्षा का स्तर जवाहर नवोदय विद्यालयों के बराबर होगा. आदिवासी क्षेत्रों के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है, जिसमें प्रत्येक स्कूल में 480 छात्र अध्ययन करेंगे. इन विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाएगा। छात्रों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. भारत जैसे-जैसे आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, यह योजना आदिवासी क्षेत्रों के लिए एक नई क्रांति का सूत्रधार है. 2021-22 स्वतंत्रता का 75वां वर्ष होगा और इस वर्ष स्वीकृत एकलव्य विद्यालय शुरू हो जाएंगे. जब 2047 में स्वतंत्रता की शताब्दी वर्षगांठ मनाई जाएगी, तो एकलव्य विद्यालयों के पूर्व छात्र हर जगह महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होंगे और तब तक वे अपनी योग्यता साबित कर कर चुके होंगे.