Ranchi: फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने राज्य के वरीय अधिकारियों को पत्राचार किया है. जिसमें मुख्य सचिव, उद्योग सचिव और वाणिज्य कर सचिव को पत्र लिखा गया है. इस दौरान चैंबर ने जेनरेटर सेट से बिजली खपत पर लगायी गयी शुल्क पर आपत्ति जतायी है. चैंबर ने इसे अव्यवहारिक बताते हुए पत्र में लिखा है कि इस कर को समाप्त किया जाये.
लेटर में कहा गया है कि, यह वास्तविकता है कि राज्य में विद्युत की अनुपलब्धता के कारण, उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए ही स्टेकहोल्डर्स जेनरेटर जैसे संयंत्र का उपयोग करते हैं. जेनरेटर की खरीद मूल्य पर अतिरिक्त ब्याज की लागत भी होती है. साथ ही डीजल के मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण व्यापारियों को इसका भी अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ रहा है. ऐसे में विद्युत शुल्क का मासिक भुगतान, त्रैमासिक रिटर्न, वार्षिक रिटर्न और एसेसमेंट जैसे कंप्लायंस का भार भी व्यवसायियों पर है. जो कहीं न कहीं ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की भावना के विपरीत है.
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बिहार सरकार ने किया रद्द
चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा ने कहा कि जेनरेटर सेट से उत्पन्न बिजली की खपत पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की मांग अनुचित है. बिहार सरकार ने साल 2011 में जेनरेटर से निजी उपयोग के लिए उत्पादित विद्युत ऊर्जा पर विद्युत शुल्क की देयता जैसे प्रावधान को समाप्त कर दिया गया. झारखंड में उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए जेनरेटर सेट से उत्पन्न बिजली की खपत पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी को समाप्त करना चाहिए. साथ ही बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाये. बता दें कि झारखंड विद्युत शुल्क अधिनियम 2011 के प्रावधानानुसार 10 केवीए क्षमता से अधिक जेनरेटर सेट से उत्पन्न बिजली की खपत पर विद्युत शुल्क भुगतान किया जाता है. वाणिज्य कर विभाग की ओर से नियम लागू है. हाल ही में मुख्य सचिव और उद्योग सचिव के साथ हुई बैठक में भी चैंबर ने इस बात को प्रमुखता से रखा है.