Santosh Manav
कहा जाता है कि बिना आग के धुआं नहीं होता. लेकिन, भारतीय राजनीति में बिना आग के भी धुआं होता है. किसी झूठ को राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह प्रसारित-प्रचारित किया जाता है कि वह सच के करीब हो जाता है. यह राजनीति का नया नहीं, पुराना ट्रेंड है. पर टूल बदल गए हैं. कहा भी गया है कि एक झूठ को सौ बार बोलो, तो वह सच हो ही जाता है.
मानिए तो राजनीति सच कम और अफवाह ही ज्यादा है. अफवाह से राजनीतिक मकसद साध लिए जाते हैं. अफवाह से जनज्वार पैदा किया जाता है. अफवाह से विरोधियों को पस्त किया जाता है. अफवाह से जातीय-धार्मिक गोलबंदी भी होती है. अफवाह से चुनाव जीते जाते हैं, अफवाह से पद छीन लिए जाते हैं. सत्ता या चुनाव की राजनीति में अफवाह का अलग ही महत्व है. इतना महत्व कि प्रधानमंत्री तक को कहना पड़ता है कि अपोजिशन झूठ-अफवाह की राजनीति कर रहा है. इसके कारण भी हैं. भारतीय राजनीति और राजनीतिक इतने अविश्वसनीय हो चुके हैं कि अफवाह भी भारतीय जनमानस के लिए सच समान है. आइए, इसे समझते हैं. पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी छोड़ेंगे. वे खुद को तौल रहे हैं. बीजेपी, आम आदमी पार्टी या नयी पार्टी ? अमरिंदर कांग्रेस छोड़ेंगे या नहीं, यह अभी तय नहीं है. लेकिन, लोग मान चुके हैं कि अमरिंदर ऐसा करेंगे. कारण, राजनीतिक ऐसा करते रहे हैं. जब तक हित सधा पार्टी अच्छी होती है. हित नहीं सधा, कुर्सी ले ली गयी, पार्टी बुरी हो जाती है. इस देश ने आया राम-गया राम टाइप खेल देखा है. देश ने देखा है कि कैसे रातो-रात सारे मंत्री पार्टी बदल लेते हैं. देश ने देखा है कि लोग कपड़े की तरह पार्टी बदलने से गुरेज नहीं करते. इसलिए लोग अफवाहों को लोग सच मान लेते हैं, तो लोगों का दोष कम और राजनीतिकों का ज्यादा है. वे हैं ही इतने अविश्वसनीय कि लोग सब संभव मानने लगे हैं. वे कह देते हैं-राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. यह इसी देश में हुआ है कि रातों-रात पूरे देश में गणेशजी दूध पीने लगते हैं. ताजा मामला देखिए. जब तक अमरिंदर पंजाब कांग्रेस के कैप्टन थे, सब ठीक था. अब जिस दिन पार्टी से अलग होंगे, उनके बोल-वचन सुनिएगा. वे कैसे शब्दों का उपयोग करेंगे. विशेषण की झड़ी लगेगी.
मध्य प्रदेश में अभी बड़ा खेल हुआ. एमपी में अपोजिशन के लीडर रहे सम्मानित नेता अजय सिंह को लेकर अफवाह उड़ी कि वे बीजेपी में जा रहे हैं. अफवाह इतनी गर्म रही कि अजय सिंह को सामने आना पड़ा. सफाई देनी पड़ी. हुआ यह था कि अजय सिंह के जन्मदिन पर अनेक शहरों में कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इन आयोजनों में कुछ बीजेपी के नेता, मंत्री आदि भी चले गए. बस, अफवाह को पंख लग गए या लगा दिए गए. देते रहो सफाई. आपकी निष्ठा हो गयी संदिग्ध. अजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे स्व. अर्जुन सिंह के सुपुत्र हैं. थोड़े दिन हुए एमपी कांग्रेस के पूर्व प्रमुख अरूण यादव के बारे में कहा गया कि किसी भी दिन अरूण बीजेपी में चले जाएंगे. अखबारों में खबर तक छप गयी. फिर अरूण यादव को सामने आना पड़ा, कहना पड़ा, मेरे खून में कांग्रेस है. और मेरा सरनेम यादव है, सिंधिया नहीं. यादव के इस बयान के बाद ही अफवाह थमी. अरूण यादव मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री रहे स्व. सुभाष यादव के सुपुत्र हैं.
अभी छत्तीसगढ़ -राजस्थान में अफवाहों का बाजार गर्म है. रोज नयी बातें सामने आती है. इनका सच से वास्ता नहीं होता. छत्तीसगढ़ में भूपेश बधेल – टीएस सिंहदेव और राजस्थान में अशोक गहलोत- सचिन पायलट के बीच कुर्सी की जंग चल रही है, तो एक से एक अफवाह हैं. कुछ तो अखबारों की सुर्खी बन जा रही है या बनवाई जा रही है. अफवाह के इस खेल में सोशल मीडिया नया और प्रभावी टूल बना है. अब कानोकान वाली बात नहीं रही. वाट्सऐप, फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम है न . इसलिए हर सूचना को सच नहीं मानिए. मानकर चलिए कि यह बाजार का झूठ भी हो सकता है. उत्तेजित तो कतई न होइए. हो गए तो समझिए कि आप राजनीतिकों के हाथ का खिलौना हो गए और आप कम से कम किसी का खिलौना नहीं ही होना चाहेंगे.