Bokaro : बोकारो जिले के चास प्रखंड के विजुलिया में 4 वर्ष पहले बना आवासीय अस्पताल अनुपयोगी हैं. यह अस्पताल 2 करोड़ 60 लाख की लागत से बनवाये गये थे. लेकिन आजतक अस्पताल में इलाज शुरू नहीं हो पाया है.
आज भी इलाज के लिए लोगों को 18 किलोमीटर दूर बोकारो ही जाना पड़ता है. 4 वर्ष पूर्व अस्पताल में कुल 8 बेड़ स्थापित की गई थी. बुनियादी सुविधाओं से लैश अस्पताल बंद पड़े हैं. लिहाजा लाखों की लागत से बना अस्पताल में असमाजिक तत्वों ने अपना अड्डा बन रखा है.
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टीका लगाने जाते हैं स्वास्थ्यकर्मी
अस्पताल 4 साल पहले ही बनकर तैयार हो गया है. लेकिन सिर्फ साप्ताहिक टीका लगाने दो एनएम ही अस्पताल में आते हैं. जबकि जब बिल्डिंग बनकर तैयार हुई थी तो वहां चिकित्सक भी तैनात किये गये थे. अस्पताल खुलने के बाद एक दिन भी अच्छे से वहां किसी का इलाज नहीं हो पाया है. करोड़ों खर्च का कोई फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है. लोगों की परेशानी जस की तस बनी हुई है.
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असमाजिक तत्वों का बना अड्डा
अस्पताल गांव से दूर बना है, चारों तरफ सन्नाटा फैला रहता हैं. लिहाजा अस्पताल परिसर में असमाजिक तत्वों के लिए सुरक्षित जोन बन गया है. सभी पंखे, बल्ब, कई उपकरण चोरों ने उखाड़ लिया है. असमाजिक तत्वों का अड्डा होने की वजह से बिल्डिंग की स्थिति भी खराब हो गयी है. कमरे में लगी खिड़की टूट गयी है. दरवाजे भी लोग ले गये है. कुछ दिन पहले एक प्रेमी जोड़े ने परिसर में आत्महत्या कर लिया था. तब से करोड़ों की बिल्डिंग और भी खंडल बन गयी है.
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विभाग ने हटाया जेनरेटर
अस्पताल में जो जेनरेटर(डीजी) लगाये गये थे. वो भी विभाग के द्वारा हटा लिये गये है. जेनरेटर को किसने हटाया और कहां लगाया गया है इस बात की जानकारी कोई अधिकारी के पास नहीं है. या जानकारी होने के बावजूद अधिकारी जबाव देने को तैयार नहीं है.
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दो लोग रखते है चाबी
अस्पताल की चाबी दो सेट में है. एक चाबी सहिया रखती हैं, दूसरी चाबी नर्स के पास है. सहिया तब आती हैं जब एएनएम टीका देने आती हैं, मतलब साफ है अस्पताल एक दिन महज टीका के लिए खुलते है.
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परेशानियां रही यथावत
भले ही सरकार निर्माण कार्य करवा दी है. लेकिन इलाके के लोगों को इसे कोई फायदे नहीं मिल पा रहा है. आज भी इलाज के लिए सुदूरवर्ती इलाके के लोगों को बोकारो जाना पड़ता है. प्रभारी सीएस कहते है कि हैंडओवर हुआ कि नहीं जानकारी नहीं है.
किसी ने नहीं उठाया कदम
जब अस्पताल बने थे तो भाजपा की सरकार थी, उनके मंत्री भी इलाके के रहे. सरकार बदली तो इन्होंने भी कोई कदम नहीं उठाये. बल्कि सभी ने लोगों को ऊपरवाले के भरोसे छोड़ दिया है.
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