Mumbai / Jamshedpur : देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में शुमार रतन टाटा संपत्ति के मामले में देश के बाकी धनाढ्यों से काफी नीचे नजर आते हैं. आईआईएफएल वेल्थ हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021 की जारी रिपोर्ट के अनुसार रतन टाटा देश के धनाढ्यों में 432वें नंबर पर आते हैं. जबकि 2020 में जारी सूची के अनुसार रतन टाटा की रैंकिंग 198वीं थी. उनकी संपत्ति भी उस समय 6000 करोड़ रुपए थी जो अब घटकर 3500 करोड़ रुपए रह गई है. जाहिर है इस सूची में नंबर एक पर मुकेश अंबानी बरकरार हैं. लेकिन ऐसा क्या है कि जिस व्यक्ति ने देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने का पिछले छह दशक तक नेतृत्व किया और अब भी उसका इन पर खासा असर है, वह धनाढ्यों की सूची में इतना नीचे है? आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक साल में उनकी संपत्ति आधी रह गई? यहां तक कि एक सुपरमार्ट के सीईओ की संपत्ति भी रतन टाटा से ज्यादा है, आखिर ऐसा क्यों है?
जेआरडी की परंपरा को आगे बढ़ा रहा रतन टाटा
इस सवाल का जवाब इस सर्वे में तो नहीं दिया गया लेकिन अब विशेषज्ञ इस बात की वजह का आकलन करने में लगे हुए हैं. टाटा ग्रुप की 29 कंपनियां सूचीबद्ध हैं, इसके अलावा कई शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं भी हैं. सूचीबद्ध कंपनियों का वर्तमान बाजार पंूजी 22,31,476.81 करोड़ रुपए है. लेकिन टाटा के सर्वेसर्वा रहे लोग इन कंपनियों के ज्यादा शेयर के मालिक नहीं रहे. टाटा ग्रुप की स्थापना करनेवाले जमशेदजी टाटा ने खुद एक परिपाटी तैयार की कि टाटा संस से जितना वे कमाएंगे उसका ज्यादातर हिस्सा टाटा ट्रस्ट को दान में दे देंगे. टाटा के सर्वेसर्वा रहे लोगों ने दान करने की इस परंपरा को आगे बढ़ाया, जिसे रतन टाटा ने नया मुकाम दिया. पिछली सदी में जेएन टाटा दुनिया के सबसे बड़े दानकर्ता घोषित किए गए. उन्होंने अपने जीवनकाल में कुल 102.4 बिलियन यूएस डॉलर दान में दिए, जो कि दान के लिए चर्चित बिल गेट्स और मिलिंडा गेट्स 74.6 बिलियन यूएस डॉलर से भी कहीं ज्यादा है. दान की गई राशि का अधिकांश हिस्सा स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च किया गया. अब उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए रतन टाटा अपने शेयर से हुई आमदनी का 65 फीसदी हिस्सा चेरिटेबल ट्रस्ट को दान में देते हैं. टाटा एडुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट जो कि 28 मिलियन अमेरिकी डॉलर की स्कॉलरशिप देती है जिससे भारतीय छात्र कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में जाकर पढ़ाई कर सकें, रतन टाटा इस ट्रस्ट से काफी नजदीक से जुड़े हैं. कोविड-19 के दौर में रतन टाटा ने टाटा ट्रस्ट के माध्यम से इस आपदा से लड़ने के लिए विभिन्न चरणों में 1500 करोड़ रुपए का दान दिया.