LagatarDesk : हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता ओम पुरी का आज 71वां बर्थ एनिवर्सरी है. उनका जन्म 18 अक्टूबर 1950 को हरियाणा के अंबाला में हुआ था. लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई पटियाला से की थी. ओमपुरी का पूरा नाम ओम राजेश पुरी था. उन्होंने अपनी एक्टिंग से केवल बॉलीवुड में ही नहीं बल्कि हॉलीवुड में भी लोहा मनवाया था. उनकी दमदार आवाज के लिए भी उन्हें हिंदी सिनेमा में पहचाना जाता है. ओम पुरी भले ही आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपने फिल्मों को अनमोल धरोहर के रूप में छोड़ गये हैं. उनका निधन 2017 में हुआ था.
बेहद मुश्किलों से भरा रहा ओम पुरी का बचपन
ओम पुरी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. एक टी स्टॉल में बर्तन धोने से लेकर फिल्म जगत में अपनी पहचान बनाने तक. इसके लिए उनको कड़ी मेहनत करनी पड़ी. ओम पुरी का बचपन बेहद मुश्किलों भरा रहा. पंजाबी परिवार में जन्मे ओम पुरी के पिता रेलवे में काम करते थे. लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. जिसके चलते उन्होंने कोयला चुनने, साफ-सफाई करने से लेकर टी स्टॉल्स में बर्तन धोने तक का काम किया.
ओमपुरी के हिट डायलॉग
‘मुझे कोई नहीं मार सकता… न आगे से, न पीछे से, न दाएं से, न बाएं से… न आदमी, न जानवर, न अस्त्र, न शस्त्र’. ये फिल्म ‘नरसिम्हा’ का डायलॉग है. जो साल 1991 में आई थी. मैं ऐसे लोकतंत्र में विश्वास नहीं करता… जो गरीबों की इज्जत करना नहीं जानता’. फिल्म-‘चक्रव्यूह’ साल 2012 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म को प्रकाश झा को डायरेक्ट किया था.
लोगों के जहन में बसा है ओम पुरी के डायलॉग
‘मरने से पहले मेरे बाल डाई करा देना, आई वॉन्ट टू डाई यंग’ ये डायलॉग उनकी फिल्म ‘आवारा, पागल, दीवाना’ की है. ये फिल्म साल 2002 में रिलीज हुई थी. ‘हर इंसान को जिंदगी में एक बार प्यार जरूर करना चाहिए… प्यार इंसान को बहुत अच्छा बना देता है’. फिल्म- ‘प्यार तो होना ही था’
किस्मत ने मारी पलटी तो सड़क से सीधे पहुंच गये बॉलीवुड में
ओम पुरी को चोरी के इल्जाम में ढाबे से निकाल दिया गया था. जिसके बाद उनकी किस्मत चमक गयी. समय ने ऐसा पलटी मारा कि वह सड़कों से सीधे बॉलीवुड में पहुंच गये. फिर अपने शानदार अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया. फिल्मों में आने से पहले ओमपुरी ने सरकारी विभाग में कलर्क का भी काम किया. उन्होंने कॉलेज में असिस्टेंट लाइब्रेरियन की भी नौकरी की. दरअसल उन्हें स्कूल के समय से ही अभिनय करना पसंद था. वह अपने स्कूल फंक्शन में हिस्सा लिया करते थे. इसके बाद ओमपुरी अपने कॉलेज के थिएटर से जुड़ गये. इसके बाद उन्होंने हरपाल टिवाना के थिएटर ग्रुप से जुड़ जाते हैं.
‘घासीराम कोतवाल’ से फिल्मी करियर की शुरुआत की
ओम पुरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’ से की थी. फिल्म ‘आक्रोश’ ओम पुरी के लिए एक वरदान बनकर आई. फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए ओम पुरी बेहतरीन सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये. उसके बाद ओम ने कई सफल फिल्मों में काम किया.
कई फिल्मों के लिए मिला नेशनल अवार्ड
ओमपुरी ने कई व्यावसायिक फिल्मों में भी काम किया. जिसमें मिर्च मसाला, जाने भी दो यारों, चाची 420, हेराफेरी, मालामाल वीकली आदि शामिल हैं. ओम पुरी को फिल्म ‘आरोहण’ और ‘अर्ध सत्य’ के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड भी मिला. ‘अर्ध सत्य’ में अमिताभ बच्चन रोल करने वाले थे. लेकिन किसी कारण वश उन्होंने मना कर दिया था. जिसके बाद यह फिल्म ओम पुरी को मिल गयी थी.
हॉलीवुड फिल्मों में भी लहराया परचम
ओम पुरी ने अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में भी काम किया. उन्होंने ऑस्कर विनिंग फिल्म गांधी में छोटा सा किरदार निभाया था. ओमपुरी ने हॉलीवुड की ‘ईस्ट इज ईस्ट’, ‘सिटी ऑफ जॉय’, ‘वुल्फ’ जैसे फिल्मों में काम किया. इन फिल्मों में उन्होंने लीड रोड प्ले किये थे.
ओमपुरी की दोनों शादी नहीं टिकी
ओम पुरी ने पहली शादी सीमा से की. जिनसे उनका रिश्ता ज्यादा दिन नहीं रहा. 1983 में नंदिता पुरी से दूसरी शादी की और 2016 में दोनों अलग-अलग हो गये. दोनों का एक बेटा ईशान है.