- सरकारी कर्मियों को मिल रहा पूरा वेतन, संविदा कर्मियों के गले में ही पड़ा परफॉरमेंस का फंदा
- अगस्त महीने का 54 सिटी मैनेजर्स को 12,65,519 रुपये का भुगतान
Ranchi: नगर विकास विभाग सैलरी वितरण में दोहरी नीति अपना रहा है. सरकारी कर्मियों को जहां उनकी पूरी सैलरी दी जा रही है, वहीं कांट्रैक्ट पर काम कर रहे सिटी मिशन मैनेजर्स की सैलरी काट ली जा रही है. नगरीय प्रशासन निदेशालय के अंडर राज्य के नगर निकायों में काम करने वाले सिटी मिशन मैनेजर्स की सैलरी परफॉरमेंस के आधार पर दी गयी है. 54 सिटी मिशन मैनेजर्स को त्योहारों के महीने में आधे से भी कम वेतन मिला है. किसी के हाथ सैलरी की 16 फीसदी, किसी के हाथ 35 फीसदी तो किसी के हाथ 40 फीसदी वेतन लगा है. सिटी मिशन मैनेजर्स की सैलरी 50,000 से 55,125 रुपये तक है. इस लिहाज से एक महीने में 54 सिटी मिशन मैनेजर्स की सैलरी कम से कम 30 लाख रुपये होती है, जबकि नगरीय प्रशासन निदेशालय ने कुल 12,65,519 रुपये अगस्त महीने में CMM को भुगतान किया है.
सिर्फ एक CMM को मिली 78.40% सैलरी
अगस्त महीने में 54 में से 7 सिटी मैनेजर्स को 10 हजार रुपये से भी कम सैलरी मिली है. इनका 82 से 84 प्रतिशत वेतन काट लिया गया. वहीं 19 सिटी मिशन मैनेजर को 10 से 20 हजार रुपये तक मिले हैं. इनका 79.25 प्रतिशत से 65.50 फीसदी सैलरी कटी है, जबकि 15 सीएमएम को 20 से 30 हजार रुपये मिले हैं. इनका 40 से 60 फीसदी वेतन कटा है. सिर्फ 4 लोगों को 60 से 65 फीसदी सैलरी मिली है. सिर्फ बुंडू नगर परिषद के सीएमएम को सबसे ज्यादा 78.40 प्रतिशत सैलरी मिली है.
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सरकारी कर्मियों को परफॉरमेंस के आधार पर सैलरी क्यों नहीं
जिन सिटी मिशन मैनेजर्स की सैलरी कटी है, वे DAY-NULM के क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग काम काम करते हैं. नगरीय प्रशासन निदेशालय के तहत चल रहे DAY-NULM में सरकारी और संविदा पर सैकड़ों लोग काम कर रहे हैं, लेकिन सरकारी कर्मियों की सैलरी परफॉरमेंस के आधार पर नहीं दी गयी. सिर्फ सिटी मिशन मैनेजर्स की सैलरी काटी गयी है. जिनका वेतन कटा है उनका कहना है कि सैलरी वितरण में श्रम कानूनों का भी उल्लंघन हुआ है. सैलरी कटने के बाद कई कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी भी प्राप्त नहीं हुई है.
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DMA सिटी मिशन मैनेजर्स ही सबसे निरीह प्राणी
एक सिटी मिशन मैनेजर्स ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि नगरीय प्रशासन निदेशालय में हिटलरशाही चल रही है. अधिकारियों की मनमानी चरम पर है. विभाग में सबसे निरीह प्राणी संविदा पर बहाल कर्मी ही हैं. कभी-कभी नौकरी से हटाने की धमकी दी जाती है तो कभी परफॉरमेंस खराब बताकर सैलरी काट ली जाती है, लेकिन फिर भी वे विरोध नहीं कर सकते. क्योंकि आवाज उठाने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर परफॉरमेंस के आधार पर ही सैलरी वितरण करना है तो फिर सरकारी कर्मियों को भी परफॉरमेंस के आधार पर पेमेंट करना चाहिए. अगर सिटी मिशन मैनेजर्स का परफॉरमेंस खराब है तो जाहिर है इसका असर पूरे डिपार्टमेंट पर पड़ा होगा और ऊपर के अधिकारियों का भी परफॉरमेंस खराब हुआ होगा, तो फिर असिस्टेंड डायरेक्टर और डायरेक्टर की भी सैलरी कटनी चाहिए थी.
दो महीने से परफॉरमेंस के आधार पर दी जा रही सैलरी
विभागीय असिस्टेंट डायरेक्टर ने बताया कि पिछले दो महीने से सिटी मिशन मैनेजर्स को परफॉरमेंस के आधार पर सैलरी दी जा रही है. इसपर ज्यादा जानकारी विभागीय डायरेक्टर ही दे सकते हैं. डायरेक्टर से संपर्क करने की कोशिश की गयी, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.