Washington : अमेरिका से खबर आयी है कि भारतीय मूल की अमेरिकी अर्थशास्त्री और IMF की चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ नौकरी छोड़ रही है. उनका इरादा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी लौटने का है. जानकारी के अनुसार गोपीनाथ अगले साल जनवरी में प्रतिष्ठित Harvard University में दोबारा लौटने की तैयारी में है. अगले साल जनवरी में अपने पद (IMF चीफ )से हट जायेगी.
बता दें कि गीता गोपीनाथ ने जनवरी 2019 में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के चीफ इकोनॉमिस्ट का पदभार ग्रहण किया था. इससे पूर्व गीता गोपीनाथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टडीज एंड इकोनॉमिक्स की जॉन स्वांस्तरा (John Zwaanstra) प्रोफेसर थीं. यह प्रोफेसरशिप जॉन स्वांस्तरा के नाम पर शुरू किये जाने की जानकारी सामने आयी थी. इंटरनेशनल स्टडीज के लिए जाने जाने वाले जॉन स्वांस्तराप को बहुत बड़े स्कॉलर माना जाता था.
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IMF पर गीता के काम का जबरदस्त असर
IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने 19 अक्टूबर को जानकारी दी कि गोपीनाथ की जगह जल्द ही किसी के नाम की घोषणा होगी. जॉर्जिवा ने कहा, IMF में गीता का योगदान और हमारी मेंबरशिप बेहद असाधारण रही है. कहा कि IMF पर गीता के काम का असर जबरदस्त रहा है. गीता गोपीनाथ विनिमय दरों, व्यापार और निवेश, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट, मौद्रिक नीति और उभरते बाजारों के संकट पर 40 रिसर्च लेख प्रकाशित कर चुकी हैं.
गोपीनाथ IMF की पहली महिला चीफ
49 साल की गीता गोपीनाथ भारतीय मूल की अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं. गीता गोपीनाथ का जन्म मैसूर में हुआ था. वह IMF की पहली महिला चीफ इकोनॉमिस्ट हैं. गीता के पति इकबाल धालीवाल भी इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट हैं और 1995 बैच के आईएएस टॉपर थे. इकबाल आईएएस की नौकरी छोड़ प्रिंसटन पढ़ने चले गये थे. गीता अपने पति और एक बेटे से साथ केम्ब्रिज में रहती हैं.
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शिकागो विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर रहीं
गोपीनाथ ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन से एमए की डिग्री हासिल की. उसके बाद उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री प्रिंसटन विश्वविद्यालय से 2001 में प्राप्त की.इसके बाद उसी साल उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम शुरू कर दिया. वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल स्टडीज एंड इकोनॉमिक्स के जॉन ज़वांस्ट्रा प्रोफेसर रही है. उनका शोध अंतर्राष्ट्रीय फाइनेंस और मैक्रोइकॉनॉमिक्स पर केंद्रित रहा है.
गोपीनाथ नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च में इंटरनेशनल फाइनेंस एंड मैक्रोइकॉनॉमिक्स प्रोग्राम की सह-निदेशक भी रह चुकी हैं. अमेरिकी आर्थिक समीक्षा की सह-संपादक, अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की वर्तमान हैंडबुक की सह-संपादक और आर्थिक अध्ययन की समीक्षा की संपादक भी रह चुकी हैं.
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