Chulbul
Ranchi : दीपोत्सव का पर्व दीपावली आनेवाला है. घर से लेकर बाजारों में इसकी तैयारी चल रही है. बारिश का सिलसिला थमने के साथ ही कुम्हार तेजी से दीया बनाने में लगे हैं. कहा जा रहा है कि इस वर्ष दिवाली का बाजार महंगा हो गया है. कोरोना के कारण पहले ही कारोबार प्रभावित हो चुके हैं. पेट्रोल-डीजल महंगे होने के कारण दिनचर्या से सामान तो मंहगे हो ही गये हैं. इसका असर दीयों और मूर्तियों पर भी देखने को मिल रहा है.
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दीये की डिमांड ठीक-ठाक रहेगी
वैसे रांची के कुम्हारों का कहना है कि इस वर्ष दिवाली पर मार्केट में दीये की डिमांड तो ठीक-ठाक रहने की उम्मीद है. पर दिवाली मार्केट थोड़ी महंगी होती दिख रही है. मिट्टी की कीमत, उसे लाने के लिए ट्रैक्टर और बाहर से आने वाले सामान सभी पर पेट्रोल-डीजल के महंगे होने का असर तो पड़ेगा ही. कहा जा रहा है कि मिट्टी के सामान 10 प्रतिशत महंगे हुए हैं. हर वर्ष अधिकत 100 रुपये सैकड़ा बिकने वाला दीया इस बार 150 रुपये में बिकना वाला है. पहले करीब 1400 रुपये प्रति टीना करंज तेल मिलता था. इस वर्ष यह महंगा हो गया है. अभी इसकी कीमत 2200 रुपये प्रति टीना है.
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सभी सामान 10 प्रतिशत महंगे हो गये – जोगेंद्र प्रजापति
कई दशकों से दीये का कारोबार करते आ रहे जोगेंद्र प्रजापति का कहना है कि पिछले कुछ दिनों तक लगातार बारिश के कारण दीये, कलश आदि बन ही नहीं पाए हैं. जो बने हैं वे सूख नहीं पाए हैं. इसके कारण काफी सामान बाहर से मंगवाना पड़ रहा है. छोटे-बड़े कलश, मिट्टी के खिलौने, ग्वालिन सभी 5 से 10 रुपये महंगे हो गये हैं.
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कुम्हार महंगी मिट्टी खरीदने पर मजबूर
विक्की प्रजापति और उनकी पत्नी गीता देवी ने कहा कि इस वर्ष मार्केट थोड़ा कम है. बारिश के कारण उत्पादन 50 प्रतिशत कम हो गया है. एक दिन में जल्दी-जल्दी काम करने पर भी 500 दीये ही बना पा रहे हैं. इसमें मेहनत बहुत है और मुनाफा बहुत कम है. इतनी मेहतन के बाद जब हम इसे बेचने जाते हैं तो लोग कहते हैं मिट्टी की चीजें भी मंहगी हो गयी हैं. बताया गया कि हर वर्ष 1500 से 2000 रुपये ट्रैक्टर मिट्टी मंगवाते थे. पर इस बार 3000 रुपये लग गये हैं. कोयला-लकड़ी सब मंहगे हो गयी है. सरकार की ओर से भी कोई सहयोग नहीं मिलता है. सरकार को कम से कम हमें मिट्टी उपलब्ध करानी चाहिए.
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डिजाइनर दीये, मूर्तियां,लैंप, हैगिंग लैंप भी हुए महंगे
टेराकोटा मटेरियल से बने डिजाइनर दीये सहित दिवाली के लिए लैंप, हैगिंग लैंप, मूर्तियां सहित अन्य सजावट की चीजों की डिमांड हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी है. इसके बारे में बताते हुए जगदीश प्रजापति ने कहा कि हर चीज की कीमत कम से कम 5-10 प्रतिशत बढ़ी हुई है. टेराकोटा ने बने ये सभी सामान सिल्लीगुड़ी-कोलकत्ता से आते हैं. हमने हर वर्ष की तरह सामान तो मंगवाया है, पर डिमांड कितनी होगी कुछ कहा नहीं जा सकता.