Satya Sharan Mishra
Ranchi : कोडरमा में स्वच्छ भारत मिशन में करीब 5 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. यह घोटाला शौचालय निर्माण में नहीं बल्कि योजना के प्रचार-प्रसार के खर्च में हुआ है. जब घोटाले की बात सामने आई तो अफसरों ने इससे जुड़े दस्तावेजों को गायब करा दिया. SBM ग्रामीण के तहत कोडरमा में साल 2014 से 2020 तक प्रचार-प्रसार में कितनी राशि खर्च हुई. किसे कार्य आदेश दिया गया. कौन सी एजेंसी का चयन हुआ. दर क्या थी और किस आधार पर निर्धारण हुआ. वर्क अप्रूवल हुआ था या नहीं इससे जुड़े कोई दस्तावेज कार्यालय के पास नहीं हैं. कार्यालय में न तो इस अवधि के बीच आयोजित नुक्कड़ नाटकों, दीवार लेखन और मुद्रण का कोई ब्योरा है. आरटीआई में पूछे गये सवाल के जवाब में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने कहा कि SBM ग्रामीण के 6 साल के कामकाज का कोई ब्योरा मौजूद नहीं है. सबसे ज्यादा गड़बड़ी एक्जीक्यूटिव इंजीनियर बिनोद कुमार के समय हुआ है.
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400 फाइलें जमा की गई थी, लेकिन अधिकांश फाइलें गायब
आरोप है कि SBM ग्रामीण के तत्कालीन एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने बिना किसी टेंडर के ही मनमाने तरीके से कई एजेंसी को मनमाने दर पर कार्य आवंटन दे दिया. टेंडर, वर्क अलॉटमेंट समेत अन्य कार्यों से जुड़ी 400 संचिकाएं 2020 में जिला समन्वयक ने जमा किया था. इसमें से कुछ संचिकाओं को छोड़कर बाकी गायब हैं. मामले का खुलासा न हो इसलिए यह संचिकाएं गायब करवा दी गई. संचिकाओं को गायब करने का एक और उद्देश्य यह भी है कि बहुत सारे कार्यक्रम हुए ही नहीं, लेकिन उसके नाम पर फर्जी निकासी कर ली गई.
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बिना टेंडर करवाया काम, PRD की निर्धारित दर से डेढ़ गुणा ज्यादा भुगतान
इस अवधि में पीआरडी दर पर भी मनमानी की गई है. पहले पीएआरडी दर पर काम का आदेश दिया गया और फिर दर से डेढ़ गुणा अधिक भुगतान किया गया. एक प्रखंड में दीवार लेखन के 1.80 लाख का काम बिना टेंडर के जीवन ज्योति नाम की कंपनी को दे दी गई. पीआरडी की दर उस समय 20 रूपये प्रति वर्ग फुट थी, लेकिन 30 रूपये प्रति वर्ग फुट के आधार पर उसका भुगतान किया गया था. RTI एक्टिविस्ट अजय कुमार पांडेय ने आरटीआई से मिली यह जानकारी पत्र लिखकर तत्कालीन डीसी रमेश घोलप को दी. मीडिया में भी खबरें आई, लेकिन डीसी ने इसपर कोई कार्रवाई नहीं की.
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स्टॉक रजिस्टर में भी सामानों की इंट्री नहीं की गई
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को 10 लाख रुपये तक के अंदर की योजना को सेंक्शन करने का अधिकार है. तात्कालीन एक्जीक्यूटिव इंजीनयर बिनोद कुमार ने अपने अधिकार का पूरा फायदा उठाया. प्रचार-प्रसार से जुड़े अधिकांश काम 10 लाख रुपये के अंदर के कराये गये. मतलब सभी वर्क ऑर्डर, टेंडर और भुगतान के आदेश EE ने ही दिये, लेकिन विभाग के पास कार्यों और खर्च का कोई रिकॉर्ड नहीं है. स्टॉक रजिस्टर में भी लाखों की सामग्री के इंट्री और भुगतान का ब्योरा नहीं है.
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जांच हुई तो कई पदाधिकारी, कर्मचारी लपेटे में आएंगे
इतना ही नहीं IEC यानी प्रचार प्रसार की फाइलों को बढ़ाने संबंधी कोई कार्य आदेश किसी को जारी नहीं किया. आरटीआई में पूछे गए सवाल के जवाब में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने कहा है कि किस कर्मचारी को फाइलों को बढ़ान और उसके मूवमेंट के जिम्मेदारी दी गई थी इसकी कोई सूचना विभाग के पास नहीं है, जबकि नियमतः वित्तीय संचिकाओं को संधारित करने के लिए एक कार्य आवंटन आदेश निर्गत किया जाना चाहिए. लेकिन यहां मनमाने तरीके से किसी से भी गोपनीय दस्तावेजों का मूवमेंट करवा दिया गया. यह साफ है कि कोडरमा में एसबीएम ग्रामीण में प्रचार-प्रसार के नाम पर करोड़ों की लूट हुई है. सही तरीके से मामले की जांच की जाए तो इक्जीक्यूटिव इंजीनियर समेत जिला स्तर के कई पदाधिकारी और कर्मचारी लपेटे में आएंगे.
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