Surjit Singh
कृषि कानून के विरोध के दौरान किसानों ने खुल्लम-खुल्ला वह बात कही, जो अब तक सिर्फ राहुल गांधी कहा करते थे. किसानों ने कहा मोदी सरकार सिर्फ और सिर्फ दो उद्योगपतियों अडानी-अंबानी के हित में काम करता है. इसपर बहुत हाय-तौबा मचा.
मोदी सरकार के मंत्रियों, राज्यों की सरकारें और भाजपा नेताओं ने किसानों के खिलाफ तरह-तरह के बयान दिये. किसी ने यह सवाल नहीं उठाया कि क्यों किसानों ने ऐसा कहा? क्यों देश के प्रधानमंत्री पर झूठा आरोप लगाया ? क्या किसान झूठ बोल रहे हैं? या क्या किसान सच बोल रहे हैं ? प्रधानमंत्री इसपर हमेशा की तरह चुप ही रहे.
अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस ने 15 जनवरी को एक खबर प्रकाशित किया है. इस खबर में दस्तावेजों के हवाले से लिखा हैः वर्ष 2019 में जब देश के बड़े एयरपोर्ट बिक रहे थे, तो केंद्र सरकार अडानी समूह को छह एयरपोर्ट बेचने को तैयार थी. लेकिन वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ही इसके खिलाफ थी.
वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने साफ-साफ कहा था कि किसी कंपनी को एक साथ छह एयरपोर्ट दे देना ठीक नहीं है. इससे एकाधिकार बढ़ेगा. वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने अडानी समूह को सिर्फ दो एयरपोर्ट देने पर सहमति दी थी.
वर्तमान स्थिति क्या है. अडानी समूह ने देश के दूसरे सबसे बड़े मुंबई एयरपोर्ट पर दावा पेश किया. जिसे मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी. आज की तारीख में अडानी समूह देश के सात बड़े एयरपोर्ट को संभाल रहा है.
अब याद करिये. जिस वक्त अडानी समूह एयरपोर्ट लेने की तैयारी कर रहा था. उस वक्त प्रधानमंत्री देश को क्या-क्या बता रहे थे. वह एक “उड़ान योजना” के बारे में देश को बता रहे थे. कह रहे थेः देशभर में एयरपोर्ट का जाल बनाया जायेगा. चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज से उड़ेगा. तब किसी ने नहीं सोंचा था, देश के सात हवाई अड्डों को एक निजी कंपनी अडानी समूह को सौंप दिया जायेगा.
तो क्या देश के किसान सच कह रहे हैं. अगर हां तो यह देश का दुर्भाग्य ही है. राष्ट्रवाद की आड़ में खास कंपनियों को लाभ पहुंचाना ना तो देश और ना ही किसी राज्य के लिये ठीक है.