Ranchi: रिम्स से दवाई दोस्त को हटाने के बाद प्रबंधन ने दावा किया था कि 10 दिनों में टेंडर फाइनल हो जाएगा और मरीजों को सस्ती दवा मिलने लगेगी. लेकिन, प्रबंधन का यह दावा पूरा होने में अभी और समय लगेगा. रिम्स प्रबंधन ने जन औषधि केंद्र के लिए एजेंसी चयन को लेकर 19 जुलाई को टेंडर निकाला था. 19 अगस्त तक ऑनलाइन टेंडर भरने का समय था. लेकिन अभी तक टेंडर फाइनल नहीं हुआ है, जिसका खामियाजा रिम्स में इलाजरत मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में मात्र 207 प्रकार की दवाएं उपलब्ध
लगातार.इन की पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि रिम्स स्थित प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में मात्र 207 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध हैं. इनमें 6-7 इंजेक्टेबल (इंजेक्शन) हैं. जबकि इस केंद्र पर करीब 1500 प्रकार का दवा होनी चाहिए थी. वहीं एंटीबायोटिक और दर्द की दवाओं की सप्लाई भी काफी कम है. जिस कारण अक्सर मरीजों को दवा उपलब्ध नहीं हो पाता है.
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मरीजों को नहीं मिलती हैं सस्ती दवाएं
रिम्स के इंडोर और आउटडोर को मिलाकर प्रतिदिन 4 हजार मरीज विभिन्न बीमारियों का इलाज कराने के लिए आते हैं. चिकित्सक उन्हें दवा लिखते हैं. लेकिन मरीजों को प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में दवा नहीं मिलती, जिसके कारण उन्हें बाहर के दुकानों पर निर्भर रहना पड़ता है. जिस कारण रिम्स के आसपास के दवा दुकानदारों की आमदनी बढ़ गयी है.
टेंडर की बहुत सारी प्रक्रिया, इसलिए लग रहा है वक्त- डॉ डीके सिन्हा
वहीं इस मामले पर रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ डीके सिन्हा ने कहा कि टेंडर की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. हालांकि टेंडर फाइनल होने में देरी की वजह पूछने पर उनका जवाब था कि टेंडर की बहुत सारी प्रक्रिया हैं, जिस वजह से देर हो रही है.
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