Pravin / Durvej
Ramgarh : राज्य में डीएमएफ निवेश से संबंधित प्राथमिकताएं राज्य सरकार ने तय कर दी हैं, पर दिशा-निर्देशों की अवहेलना अब भी जारी है.वहीं राज्य में खनन प्रभावित लोगों की पहचान के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किये गये है. जिसके कारण DMFT की राशि का उपयोग मनमाने तरीके से किया जा रहा है. ऐसा ही एक मामला रामगढ़ जिला में सामने आया है, जहां खनन से प्रभावित इलाको में विकास कार्य न कर DMFT राशि का उपयोग रामगढ़ उपायुक्त कार्यालय परिसर में किया जा रहा है.रामगढ़ उपायुक्त कार्यालय में करोड़ रुपये की लगात से DMFT की राशि का उपयोग कर शौचालय एवं पार्किग का निर्माण कराया जा रहा है. रामगढ़ डीसी कार्यालय में 80 लाख 21 हजार 900 रूपया की लगात से शौचालय का निर्माण योजना कोविड से पूर्व स्वीकृत किये गये थे. इसका 95 प्रतिशत कार्य किया जा चुका है. वहीं डीसी कार्यलाय में ही पार्किंग शेड के निर्माण में भी DMFT की राशि का उपयोग किया गया है. यह योजना 22 लाख 51 हजार रुपए की है.
इसे भी पढ़ें-झारखंड राज्य पत्रकार स्वास्थ्य बीमा योजना नियमावली -2021 को CM की मंजूरी, पांच लाख तक मिलेगा लाभ
95 प्रतिशत काम पूरा
डीसी ऑफिस रामगढ़ परिसर में बन रहे सामुदायिक शौचालय निर्माण का ठेका कांट्रेक्टर चिंतामणि प्रसाद को मिला है. निर्माण कार्य 95 प्रतिशत पूर्ण बताया जा रहा हैं. जबकि उपायुक्त कार्यालय रामगढ़ परिसर में वाहन पड़ाव के लिये सेड का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है. जिसके ठेकेदार मिथिलेश प्रसाद गुप्ता थे.
इसे भी पढ़ें-इसरो ने एनआइटी पटना में खोला रिसर्च सेंटर, प्रॉब्लम सॉल्विंग रिसर्च पर काम होगा
क्या है डीएमएफ से संबंधित नियम एवं राशि खर्च करने का प्रावधान
डिस्ट्रिक्ट मंडल फंड की राशि के उपयोग के लिए उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र का भी निर्धारण किया गया है. जहां कुल राशि का 60 प्रतिशत उपयोग किया जाना है. इसमें पेयजल आपूर्ति, पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के उपाय, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा महिला और बच्चे का कल्याण, वृद्ध और विकलांग लोगों का कल्याण , कौशल विकास और स्वच्छता पर डिस्टिक मिनिरल फंड ट्रस्ट की राशि खर्च किये जा सकते हैं. वहीं गौण प्राथमिकता वाले क्षेत्र में 40 प्रतिशत राशि खर्च करने का प्रावधान किया गया है. इसके तहत भौतिक मूल्य ढांचा जैसे सड़क, पुल, रेल जल मार्ग का निर्माण ,सिंचाई के वैकल्पिक स्रोत विकसित करना, ऊर्जा और वाटर सेट विकास पर खर्च किये जाने का प्रवधान है. डीएमएफ से संबंधित राज्य के नियम के अनुसार, यह जरूरी है कि इस राशि की प्लानिंग और योजनाओं को लेने के लिए खनन प्रभावित क्षेत्रों के अन्तर्गत पड़ने वाले ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है. लेकिन इसके ठीक विपरीत सिर्फ खानापूर्ति के लिए ग्राम सभाओं का आयोजन करवाया गया. जैसे ग्रामसभा स्तर के माध्यम से किसी भी योजना का चयन नहीं किया गया. ऐसी योजनाओं को ऊपर से थोप दिया जाता है.
क्या कहते हैं आरटीआई कार्यकर्ता और अधिवक्ता सुनील कुमार महतो
राज्य में डीएमएफटी की राशि का उपयोग खनन प्रभावित लोगों में न होकर अन्य कार्यों में धड़ल्ले से किया जा रहा है. पूर्व में भी धनबाद जिला में फ्लाईओवर निर्माण में डीएमएफटी की राशि का आवंटन किया गया था. जो झारखंड के खनन प्रभावित/ विस्थापित लोगों के साथ सीधे तौर पर अन्याय ही है.