NewDelhi : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने आज शुक्रवार को कहा कि यह सरकार(मोदी) प्रजातंत्र और संविधान के जश्न के आयोजन में विपक्ष का सम्मान नहीं करती है. वह संसदीय लोकतंत्र का अपमान करती है. बता दें कि आज कांग्रेस संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुई. इस क्रम में मोदी सरकार पर हल्ला बोलते हुए आरोप लगाया कि यह सरकार संवैधानिक संस्थाओं और संविधान की मूल भावना पर आघात कर रही है. कहा कि इसी कारण विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम से अलग रहने का फैसला किया.
LIVE: Congress Party briefing by Shri @AnandSharmaINC at AICC HQ. https://t.co/yRC5PoX1WX
— Congress (@INCIndia) November 26, 2021
भाजपा सरकार निरंतर संवैधानिक संस्थाओं को चोट पहुंचा रही है
बता दें कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के सांसद संविधान दिवस के कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे. संविधान दिवस पर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सांसद एवं अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए, थे . आनंद शर्मा ने कहा कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विपक्ष की आलोचना करने का कोई औचित्य नहीं था.
कह कि भाजपा सरकार निरंतर संवैधानिक संस्थाओं को चोट पहुंचा रही है, संवैधानिक नियमों का उल्लंघन हो रहा है. संविधान की मूल भावना पर आघात किया जा रहा है. शर्मा के अनुसार दो साल पहले भी यही स्थिति पैदा हुई थी और हमने विरोध दर्ज कराया था. हमारी अपेक्षा थी कि सरकार सचेत हो जायेगी और विपक्ष को सम्मान देगी.
सिर्फ दर्शक की तरह बुलाया जाना हमें स्वीकार नहीं
उन्होंने कहा, हम संविधान और राष्ट्रपति का सम्मान करते हुए यह कहना चाहते हैं कि अगर प्रतिपक्ष के नेताओं और विपक्षी नेताओं को प्रजातंत्र या संविधान के जश्न के आयोजन में शामिल नहीं किया जायेगा और सिर्फ दर्शक की तरह बुलाया जायेगा तो यह हमें स्वीकार नहीं है. प्रधानमंत्री जी का विपक्ष की आलोचना करना सही नहीं है. इसका कोई औचित्य नहीं है. सरकार कोई अवसर नहीं छोड़ती कि संविधान और संवैधानिक परंपराओं को दबाकर निर्णय लिया जाये.
देश में कई समस्याएं और विकट परिस्थितियां पैदा हुई हैं
आनंद शर्मा का दावा था कि देश में कई समस्याएं और विकट परिस्थितियां पैदा हुई हैं. सरकार ने जिस तरह से कानून बनाये, उससे समाज में टकराव और और उत्तेजना पैदा हुई है. तीनों कृषि कानूनों को लेकर यही हुआ. हमने सरकार से कहा था कि विधेयक पारित कराने की एक प्रक्रिया होती है. लेकिन सरकार ने प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया. यही कारण है कि किसानों का एक साल तक आंदोलन चला और अब सरकार कानूनों को वापस ले रही है. कहा कि अगर विपक्ष की बात मोदी सरकार सुनतीस तो इतना बड़ा संकट खड़ा नहीं होता