NewDelhi : अयोध्या राम मंदिर विवाद पर फैसला सुनाने वाले पूर्व सीजेआई व राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दिये जाने की खबर है. केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई को पूरे भारत में यात्रा के दौरान सुरक्षा प्रदान की जायेगी.
जानकारी के अनुसार सीआरपीएफ से कहा गया है कि वह रंजन गोगोई को सुरक्षा प्रदान करे. जान लें कि 40 दिन चली सुनवाई के बाद 5 जजों की बैंच ने विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने के लिए आदेश दिये थे. रिटायर होने से ठीक पहले गोगोई ने यह आदेश सुनाया था. वे उसी महीने रिटायर भी हो गये थे
Former CJI Ranjan Gogoi gets Z+ security for movement across India. CRPF has been asked to provide him with security. pic.twitter.com/yjI5BbaXGg
— ANI (@ANI) January 22, 2021
थोड़ा पीछे जायें, तो पिछले साल नौ नवंबर 2019 को रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में फैसला सुनाया था. पिछले वर्ष मार्च में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया था.
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गोगोई ने शपथ लेने पर विपक्ष के नेताओं ने वॉकआउट किया
बता दें कि गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किये जाने पर विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर सवाल भी उठाये थे.पिछले साल मार्च में जब रंजन गोगोई ने राज्यसभा की सदस्यता की शपथ ली थी उस समय विपक्ष ने उनके विरोध में जमकर नारेबाजी की थी. हंगामे के बीच गोगोई ने शपथ ली, जिसके बाद विपक्ष के नेताओं ने वॉकआउट किया.
कांग्रेस ने गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाये जाने की आलोचना की थी
कांग्रेस ने रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाये जाने की आलोचना की थी. कहा था कि इससे देश की न्यायपालिका प्रभावित होगी. कांग्रेस का मानना था कि भविष्य में दूसरे जज भी राज्यसभा के लालच में फैसले दिया करेंगे. कांग्रेस ने कहा कि देश में सरकार और न्यायपालिका की मिलीभगत होना लोकतंत्र के लिए खतरा है.
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सुप्रीम कोर्ट के जजों ने न्यायपालिका के इतिहास में पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की
साल 2018 में रंजन गोगोई समेत सुप्रीम कोर्ट के जजों ने देश की न्यायपालिका के इतिहास में सबसे पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. उन्होंने न्यायिक व्यवस्था और केस आवंटित किये जाने को लेकर उस समय सवाल उठाये थे.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई ने साढ़े 13 महीने तक कार्य किया. इस दौरान उन्होंने कुल 47 फैसले सुनाये. रंजन गोगोई के कार्यकाल में आरटीआई के दायरे में लाना, राफेल डील, सबरीमाला मंदिर और सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर प्रकाशित करने पर पाबंदी जैसे मामलों पर निर्णय दिये गये.