Garhwa : नियोजन नीति में भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका को शामिल कराने के लिए राजमहल से भवनाथपुर तक के लोगों को धर्म और जाति के बंधनों को तोड़कर एकजुट होना पड़ेगा. जब लोग एकजुट होंगे तब सरकार को घुटनों पर आकर हमारी बात माननी पड़ेगी. उक्त बातें प्रदेश के पूर्वमंत्री केएन त्रिपाठी ने मंगलवार को पीडब्ल्यूडी डाकबंगला परिसर में भोजपुरी – मगही भाषा बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित विचार गोष्ठी में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि इस राज्य में भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका बोलने वाले एक करोड़ लोग जो विभिन्न जाति धर्म के हैं, उनके बच्चों को न्याय नहीं मिल पायेगा. नौकरी से वंचित करने की सरकार की मंशा की चर्चा घर-घर तक होने लगी है. लोग सरकार से क्रोधित हैं. उन्होंने कहा कि यह किसी पार्टी, पार्टी की सरकार या सरकार की हठधर्मिता का सवाल नहीं है. यह झारखंडियों की अस्मिता का सवाल है.
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि एक क्या सैकड़ों सरकार पलामू के अधिकार का हनन नहीं कर सकती. अधिकार एवं पहचान को नहीं लूटने देंगे. उन्होंने कहा कि राज्य में 12% दलित आबादी है. एक परसेंट भी दलित भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका को छोड़कर दूसरी भाषाओं को नहीं जानते हैं. क्या राज्य के सीएम बता सकते हैं कि दलितों को न्याय कैसे मिलेगा? उन्होंने कहा कि भाषा के आधार पर लोगों को नौकरी से दूर करना क्षेत्रीय विषमता बढ़ाने वाला है. यह मसला सवा तीन करोड़ झारखंडियों की अस्मिता से जुड़ा मसला है.
साजिश के तहत अलग कर दिया गया
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता केडी सिंह ने कहा कि एक साजिश के तहत मगही एवं भोजपुरी को भाषा से अलग कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि हमें सांस्कृतिक विरासत को नहीं भूलना चाहिये. मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका भाषा को स्थानीय भाषा के रूप में मान्यता मिलना चाहिए. पलामू के लोगों को उनका हक एवं अधिकार मिले. उन्होंने कहा कि संघर्ष बड़ी चीज है. गढ़वा, पलामू, देवघर एवं गोड्डा के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा कि सरकार पारा शिक्षकों के मुद्दे पर लगातार झूठ बोल रही है और लोगों को धोखा दे रही है. शिक्षक और पारा शिक्षक में मतभेद पैदा कर दिया गया है. शिक्षक शिक्षक होते हैं जो शिक्षा एवं संस्कार देते हैं. सरकार को उनका वाजिब हक देना पड़ेगा.
सरकार हेमंत नहीं ब्यूरोक्रेट्स चला रहे हैं
इंटक नेता कन्हैया चौबे ने कहा कि सरकार हेमंत नहीं ब्यूरोक्रेट्स चला रहे हैं. उन्हें क्या मतलब है पलामू एवं झारखंड से. उन्हें तो मात्र अपनी कुर्सी की चिंता है, चाहे सरकार किसी की हो. उन्होंने कहा कि यहां लड़ाई भाषा की है. सरकार को झुकना पड़ेगा और पलामू के लोगों को उनका हक एवं अधिकार देना पड़ेगा. कांग्रेस नेता शैलेश चौबे ने कहा कि मगही भोजपुरी भाषा को नियोजन नीति में सरकार द्वारा स्थान नहीं दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. भाषा से सांस्कृतिक जुड़ाव है. यहां तो भाषा का सवाल है. उन्होंने सरकार से नियोजन नीति में मगही एवं भोजपुरी भाषा को शामिल करने की मांग की. गोष्ठी में नगर पंचायत अध्यक्ष विजयालक्ष्मी देवी, अभय पांडेय, डॉ प्रदीप शर्मा, शिवशंकर प्रसाद, शिवकुमार सिंह, सुशील चौबे, राजेश रजक, बबन पासवान, कमला सिंह, दयानंद पांडेय, रामजन्म पासवान, घनश्याम पाठक, रामानंद पांडेय, गदाधर पांडेय, महेंद्र पाल, अमानत हुसैन, छोटेलाल मेहता आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किये.गोष्ठी का संचालन कृष्णा रागी ने किया.
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