Dhanbad: सिम्फ़र झारखंड की जनजातीय संस्कृति को जीवंत रखने के लिए कोयले से गले का हार, अन्य आभूषण तथा घर की साज सज्जा का सामान तैयार करेगा. अब तक ईंधन के रूप में काम आनेवाला कोयला शीघ्र ही हमारे घर, आंगन सहित माथे और गले की भी शोभा बढ़ाएगा. घर की सजावट में भी चार चांद लगाएगा.
घर सजाने के भी सामान बनेंगे
सिम्फ़र के निदेशक डॉ प्रदीप सिंह के नेतृत्व में संस्थान की टीम कोयले से जेवर व घर के इंटीरियर डेकोरेशन के उपयोग में आने वाले साजो सामान तैयार करेगी. टेबल पर सजाने वाले कई आइटम तथा घर के साज सज्जा के सामान तैयार किये जा रहे हैं.
महिलाओं को मिलेगा रोजगार : डॉ सेल्वी
सिम्फर में वैज्ञानिक डॉ सेल्वी ने बताया कि झारखंड की जनजातीय संस्कृति से जुड़ी कला को भी कोयले के माध्यम से प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है. देश की कोयला राजधानी धनबाद स्थित सिम्फ़र का प्रयास है कि काला हीरा कोयला देश-दुनिया में अपनी चमक बिखेरे. उन्होंने कहा कि अभी इसमें समय लगेगा. अभी इस पर लगातार काम चल रहा है.
अभी लगेगा वक्त, टीम कर रही है काम
ईंधन के विकल्प सहित अन्य रूप में भी कोयले का इस्तेमाल बढ़े, इसी वजह से संस्थान ने कोल क्राफ्ट, कोल आर्ट, कोल ज्वेलरी, कोल ट्रेडिशनल आर्ट, कोल मॉडर्न आर्ट के रूप में काम शुरू किया है. कोयला से सामग्री तैयार करने वाली टीम इस पर काम कर रही है. आर्ट एंड क्राफ्ट ज्वेलरी बनाने के काम में स्थानीय महिलाओं को भी जोड़ने की कोशिश की जा रही है, ताकि उन्हें रोजगार मिल सके.
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