Ranchi : झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2021 सदन में पास हुआ. तीन विधायकों ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की . सभी ने कहा कि समिति 30 दिनों के अंदर अपना प्रतिवेदन दे. प्रवर समिति में भेजने की मांग करने वाले में माले विधायक विनोद कुमार सिंह, आजसू विधायक लंबोदर महतो, बीजेपी विधायक अनंत ओझा शामिल हैं.
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इस विधेयक में कई तरह की त्रुटियां है- बंधु तिर्की
कांग्रेस के बंधु तिर्की ने इसे स्वागत योग्य कदम बताया है, लेकिन इस विधेयक में कई तरह की त्रुटियां है. आदिवासी समाज के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहल है, पास करने से पहले इसे प्रवर समिति को भेजे और जनजातीय विशेषज्ञ से इस पर राय लें.
कांग्रेस के प्रदीप यादव ने भी इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक में बने हुए विश्वविद्यालय का पहले अध्ययन किया जाए. झारखंड में बनने वाले जनजाति विश्वविद्यालय में कई ऐसे अनछुए पहलू हैं, जिसे शामिल किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजाति विश्वविद्यालय में फिजिक्स, मैथ, केमिस्ट्री विषय को शामिल किए जाने की आवश्यकता है. इसलिए इसे प्रवर समिति को भेजा जाए.
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जनजाति विश्वविद्यालय में सभी पहलुओं को शामिल किया गया है
प्रभारी मंत्री मिथलेश ठाकुर ने कहा कि जनजाति विश्वविद्यालय में सभी पहलुओं को शामिल किया गया है. ऐसे ही इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने का कोई औचित्य नहीं है.
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20 एकड़ जमीन भी चिह्नित किया गया है
बता दें कि कुछ माह पहले हुए जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की बैठक में आदिवासियों को लेकर कई बड़े फैसले लिये गये थे. इसमें सबसे बड़ा फैसला यह था कि झारखंड सरकार राज्य में जनजातीय विश्वविद्यालय खोलेगी. बैठक में फैसला हुआ था कि सरकार इस संबंध में विधेयक लाकर विश्वविद्यालय निर्माण की प्रक्रिया शुरू करेगी. झारखंड में खुलने वाला पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय पूर्वी भारत का पहला विश्वविद्यालय होगा. इसे जमशेदपुर के गालूडीह और घाटशिला के बीच निर्माण की योजना है. इसके लिए 20 एकड़ जमीन भी चिह्नित की जा चुकी है.
टीएससी की बैठक में सीएम हेमंत सोरेन ने भी कहा था कि राज्य के पहले जनजातीय विश्वविद्यालय के निर्माण का उद्देश्य जनजातीय भाषा और आदिवासी समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को सहेजना है. साथ ही उन पर शोध करने तथा आदिवासी समाज के मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना है.
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