NewDelhi : खबर है कि मोदी सरकार नये साल (2022) के पहले सप्ताह में सीएए(CAA) लागू करने की तैयारी कर रही है. इससे उन शरणार्थियों को नागरिकता संशोधन कानून लागू होने का लाभ मिल सकता है जो वर्षों से भारत की नागरिकता पाने की जुगत में रहे हैं. बता दें कि नागरिकता कानून (सीएए) 2020 संसद से पारित होने के बावजूद एक साल से अमल में नहीं आ सका है, क्योंकि इसके नियम अभी तय नहीं किये गये हैं. सूत्रों की मानें तो केंद्र ने अब सीएए लागू करने का मन बना लिया है.
जानकारों का कहना है कि सरकार यह कदम ऐसे समय उठाने जा रही है, जब उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जान लें कि मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग इस कानून का विरोध करता रहा है. याद करें, दिल्ली के शाहीनबाग में लंबे समय तक इसे लेकर आंदोलन भी हुआ था.
ऐसे शरणार्थियों की संख्या भारत में 2-3 करोड़ से अधिक है
नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 2-1-ख में प्रावधान है कि पासपोर्ट, वीजा और अन्य ट्रैवल दस्तावेज के बगैर प्रवासी भारत आते हैं या जिनका पासपोर्ट और वीजा एक्सपायर हो जाता है उन्हें अवैध प्रवासी माना जायेगा. CAA मूल रूप से इस नियम में बदलाव के लिए लाया गया है. बांग्लादेश बनने(71) से कुछ समय पहले बड़ी संख्या में हिंदू शरणार्थी भारत आये थे.बांग्लादेश बनने के बाद भी प्रताड़ित अल्पसंख्यक वहां से आते रहे हैं. बताया जाता है कि ऐसे शरणार्थियों की संख्या भारत में 2-3 करोड़ से अधिक है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि देशभर में टीकाकरण पूरा होने के बाद सीएए लागू करेंगे. टीकाकरण कार्यक्रम अब अंतिम चरण में है. भाजपा पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का चुनावी वादा कर चुकी है. मतुआ समुदाय के 30 विधानसभा सीटों में करीब 1.5 करोड़ वोट हैं.
नियम बनाने के लिए सरकार 3 बार ले चुकी है मोहलत
किसी कानून के नियम 6 माह के भीतर प्रकाशित हो जाने चाहिए ताकि उस कानून पर अमल हो सके. सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी सीएए संसद से 11 दिसम्बर, 2019 को पारित हुआ था. अधिनियम 10 जनवरी 2020 को लागू हो गया. लेकिन इसके नियम तय नहीं किये जा सके. नियम तय करने के लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2020, फरवरी 2021 और मई 2021 में संसद की सबोर्डिनेट लेजिसलेशन कमेटियों से एक्सटेंशन मांगा था. अब सरकार के सामने 10 जनवरी, 2022 की डेडलाइन है.
यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों के साथ इंसाफ किया जाये. खबर है कि सरकार से संघ नेतृत्व को पूरा भरोसा दिलाया गया है कि अब 10 जनवरी की समय सीमा को आगे बढ़ाने का अनुरोध नहीं किया जायेगा और इससे पहले नियम तय कर CAA लागू कर दिया जायेगा.