NewDelhi : उत्तराखंड के हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित धर्म संसद मामले में तीन पूर्व सेना प्रमुखों समेत 100 से ज्यादा लोगों ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर संज्ञान लेने की अपील की है. खबर है कि पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व सैन्य अधिकारी, नौकरशाह सहित अन्य जानी-मानी शख्सियतें शामिल हैं. पत्र के अनुसार धर्म संसद में अल्पसंख्यकों के नरसंहार का खुला आह्वान किया गया है, जो देश की शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है.
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बाहरी ताकतों को मजबूती मिलेगी
पत्र में देश की अशांत सीमाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस तरह के आह्वान से देश के नागरिकों के बीच नफरत की भावना पनपेगी, जिससे बाहरी ताकतों को मजबूती मिलेगी. देश के अंदर शांति और सद्भाव को किसी तरह से नुकसान पहुंचने से बाहरी दुश्मनों को लाभ मिलेगा. कहा गया है कि अगर हमारे विविधतापूर्ण समाज में किसी एक या दूसरे समुदाय के खिलाफ हिंसा खुले आह्वान की इजाजत मिली, तो केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) और पुलिस बलों समेत वर्दी पहने सभी पुरुष और स्त्रियों के बीच एकता और सामंजस्य को झटका लगेगा.
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अल्पसंख्यकों के नरसंहार की अपील बेहद खतरनाक
हरिद्वार धर्म संसद का जिक्र करते हुए पत्र में कहा गया है कि धर्म संसद के नाम से आयोजित तीन दिवसीय धार्मिक सम्मेलन के भाषणों ने हमें गंभीर रूप से व्यथित कर दिया है. वहां हिंदू राष्ट्र के निर्माण का बार-बार आह्वान किया गया और हिंदू धर्म की रक्षा के नाम पर जरूरत पड़ने पर हथियार उठाकर भारत के मुसलमानों की हत्या करने की अपील की गयी.
दिल्ली धर्म संसद को लेकर कहा गया कि दिल्ली में भारी संख्या में लोग जुटे और सार्वजनिक तौर पर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया गया. पूर्व सैन्य अधिकारियों व नौकरशाहों का कहना था कि दूसरी जगहों पर भी इस तरह की राष्ट्रविरोधी बैठकें की जा रही हैं. हम इस तरह हिंसा के लिए उकसावे की अनुमति नहीं दे सकते. पत्र के अनुसार एक वक्ता ने आर्मी और पुलिस से हथियार उठाकर सफाई अभियान में जुड़ने की अपील की. इसका मतलब आर्मी से अपने देश के नागरिकों का नरसंहार करने की अपील करना है जो निंदनीय और अस्वीकार्य है.
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76 वकीलों ने CJI एनवी रमना को पत्र लिखा
सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिख कर मामले में स्वतः संज्ञान लेने की अपील की है. वकीलों ने घटना का जिक्र करते हुए कहा है कि अगर नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई नहीं होती है तो सुप्रीम कोर्ट तुरंत मामले का संज्ञान ले. बता दें कि छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित धर्म संसद में महात्मा गांधी के लिए अभद्र भाषा का उपयोग करने के आरोप में कालीचरण महाराज गिरफ्तार किये जा चुके हैं.
पत्र की प्रतियां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, अमित शाह, राजनाथ सिंह को भेजी गयी
पत्र की प्रतियां सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना, राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ-साथ विभिन्न दलों के प्रमुखों को भी भेजी गयी है. साथ ही, यह पत्र राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों को दिया गया है. पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में नौसेना के पूर्व प्रमुख एल रामदास, विष्णु भागवत, अरुण प्रकाश, आरके धवन और पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी शामिल हैं.
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