NewDelhi : मकर संक्रांति पर आज पश्चिम बंगाल के गंगासागर में गंगा स्नान के लिए तीन लाख लोगों के जुटने की खबर है. उधर हिंदुओं के सबसे बड़े तीर्थ प्रयागराज में आज से माघ मेला और कल्पवास दोनों का प्रारंभ हुआ. लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने देश विदेश से आकर मकर संक्रांति पर पुण्य की डुबकी पवित्र गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम मे लगायी. शास्त्रों के अनुसार मकर राशि में जब सूर्य आता है उस समय यह योग बनता है. संक्रांति सूर्य पर्व माना गया है. आगे से भगवान भास्कर दक्षिण से उत्तर की दिशा प्राप्त करेंगे. इसे उत्तरायण कहते हैं.
हर की पैड़ी क्षेत्र को बैरिकेड किया गया है
कोरोना वायरस को लेकर हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा स्नान को प्रतिबंधित किये जाने के चलते हरिद्वार के पूरे हर की पैड़ी क्षेत्र को बैरिकेड करके श्रद्धालुओं के आने के लिए प्रतिबंधित किया गया है. पूरे क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स लगाकर आने वाले श्रद्धालुओं को हर की पैड़ी और अन्य गंगा घाटों पर जाने से रोकने के लिए प्रशासन द्वारा प्रबंध किये गये हैं. स्नान के प्रतिबंधित होने से हर की पैड़ी समेत सभी घाट सूने पड़े हैं. आज सुबह की गंगा आरती केवल चंद लोगों की उपस्थिति में की गयी है.
श्रद्धालु मां गंगा का स्नान करने के लिए हरिद्वार आते हैं
सामान्य तौर पर मकर संक्रांति स्नान पर बड़ी संख्या में देशभक्त श्रद्धालु मां गंगा का स्नान करने के लिए हरिद्वार आते हैं. मगर चूंकि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते जिला प्रशासन ने इस स्नान को प्रतिबंधित किया है. इसके चलते पूरा हर की पैड़ी क्षेत्र खाली पड़ा हुआ है. सीओ सिटी शेखर सुयाल ने कहा कि बाहर हर बैरियर और हर नाके पर हमारी पुलिस मौजूद है और कोविड-19 गाइडलाइन का अनुपालन कराना हमारी जिम्मेदारी है. पुलिस फोर्स मुस्तैदी के साथ खड़ी है.
मां गंगा राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर धरती पर आयी
गंगा सागर के महत्व और इतिहास के बारे में BHU के संस्कृत विघा धर्म विज्ञान संकाय के प्रो माधव जर्नादन रटाटे ने बताया कि पुराणों के अनुसार मां गंगा राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर धरती पर आयी और हिमालय पर उनकी धारा गिरी तो गंगा अनेक तीर्थों को आत्मसात करते हुए समुद्र में जाकर मिली है, उस स्थान को गंगा सागर संगम कहते हैं. किसी भी नदी का संगम होता है उसका बड़ा महत्व होता है. वही गंगा सागर के पास कपिल मुनि का आश्रम भी है.
राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों को तारने के लिए गंगा का आह्वान किया था. कपिल मुनि के आश्रम में पूर्वजों के भस्म को माँ गंगा ने अपने में समाहित कर लिया. सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार जैसी कहावत है. दस अश्वमेध यज्ञ जीतना पुण्य या एक हजार गौ दान जितना ही पुण्य गंगा सागर में स्नान से होता है.