Sonia Jasmin
Ranchi: समाज में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढती ही जा रही है. युवा रोजगार के लिए अन्य राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं. स्थिति ऐसी बन गयी है कि रोजगार देने के नाम पर मानव तस्करी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. युवा वर्ग रोजगार के अभाव में कई बार गलत रास्तों पर चला जाता है. इसी उद्देश्य से सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना शुरू की थी. आलम यह है कि सरकारी योजनाओं में भी युवाओं के साथ छल किया जा रहा हैं. ट्रेनिंग लेने के बाद भी झारखंड के युवा बेरोजगार घूम रहे हैं. सरकार द्वारा स्कॉलरशिप की घोषणा के बाद भी युवाओं के हाथ एक भी पैसा नहीं आया है.
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क्या है PMKVY ?
पीएमकेवीवाई का उद्देश्य देश के युवाओं को उद्योगों से जुड़ी ट्रेनिंग देना है. इससे उन्हें रोजगार पाने में मदद मिल सकेगी. इसमें युवाओं को ट्रेनिंग के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है. बल्कि सरकार ही पैसा देती है. इसमें किसी भी कोर्स के लिए 3 महीने, 6 महीने और 1 साल के लिए रजिस्ट्रेशन होता है. कोर्स के बाद सर्टिफिकेट मिलता है. यह सर्टिफिकेट पूरे देश में मान्य है. इस योजना में ट्रेनिंग के बाद सरकार युवाओं को लोन देने के साथ रोजगार देने में भी मदद करती है. इसमें कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रॉनिक्स, हार्डवेयर, फूड प्रोसेसिंग, फर्नीचर, हैंडक्राफ्ट, ज्वेलरी और लेदर टेक्नोलॉजी जैसे करीब 40 तकनीकी क्षेत्र शामिल हैं.
आएये जानते हैं इस पर युवाओं का क्या कहना है
‘अनुज कच्छप ने डॉन बोस्को स्कूल कोकर, रांची से पीएमकेवीवाई के अंतर्गत आईटी का प्रशिक्षण लिया. अनुज ने प्रशिक्षण 2018 में पूरा कर लिया था. इनका कहना है कि आजकल के दौर में शिक्षा में काफी खर्च होता है. काफी मेहनत से हम पढ़ाई कर शिक्षा हासिल कर रहे हैं. इसके बावजूद रोजगार पाना काफी कठिन हो गया है. इसलिए सरकार ने युवाओं के लिए यह योजना शुरु की. इस योजना के तहत ट्रेनिंग देकर रोजगार के साथ स्कॉलरशिप देने की बात कही गयी थी. लेकिन युवा ट्रेनिंग के बाद भी रोजगार और स्कॉलरशिप से वंचित हैं. इसके बारे में पूछने पर हमें कोई भी सवाल का जवाब नहीं मिलता है.
रांची की ओपोलिना कहती हैं ‘शिक्षित बेरोजगार युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है. अलग-अलग क्षेत्रों से ट्रेनिंग करने के बाद भी युवा रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. सरकार की ओर से पीएमकेवीवाई के नाम पर झूठा दिलासा दिया जा रहा है’.
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सिमडेगा की खुशबू के हाथ लगी निराशा
सिमडेगा की खुशबू कहती हैं ‘पेरेंट्स अपने बच्चों को बाहर भेज कर पढ़ाते हैं, ताकि पढ़ाई और ट्रेंनिग की बदौलत बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकें. इसलिए इस सरकारी योजना के तहत हमने रांची आकर ट्रेनिंग की. लेकिन अब ऐसा लगता है कि हमने बस वक्त बर्बाद किया हैं. इससे रोजगार तो मिला नहीं और न ही कोई भत्ता.
रांची की मैरी डेनिस ने बताया कि उन्होंने 2017 में इस योजना के तहत रिटेल का प्रशिक्षण लिया. इस प्रशिक्षण में उन्हें थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों कराया गया था. युवाओं को रोजगार का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. इस योजना में प्रशिक्षण लेने वाले सभी युवा आज नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
प्रीति ने रांची से ही इस योजना के तहत ब्यूटी पार्लर की ट्रेनिंग 2018 में पूरी की थी. लेकिन आर्थिक मदद न मिलने से प्रीति का प्रशिक्षण बेकार हो गया है. प्रीति ने कहा कि रोजगार का बस दिलासा मिला ही मिला, रोजगार नहीं.
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