Saurav Shukla
Ranchi: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल कहे जाने वाले “रिम्स” में अव्यवस्था का आलम कम होने का नाम नहीं ले रहा है. दरअसल हाईकोर्ट ने रिम्स से पूछा है कि अब तक सिटी स्कैन एवं पैथोलॉजी की मशीनों की खरीदारी क्यों नहीं की गई. अदालत ने यह भी पूछा है कि जब रिम्स सरकारी संस्थान है तो पैथोलॉजी की जांच निजी संस्थानों से क्यों करवाई जाती है.
इसकी पड़ताल जब लगातार. इन के संवाददाता ने रिम्स में किया तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया. रिम्स में पीपीपी मोड पर चल रहे रेडियोग्राफी जांच के लिए (हेल्थ मैप) और पैथोलॉजी जांच के लिए मजबूरन मेडॉल का रुख करते हैं.
केस स्टडी
ब्रेन एमआरआई के लिए चुकाने पड़े 5175 रुपए
औरंगाबाद से आए मरीज के परिजन अंकित ने कहा कि चिकित्सक ने ब्रेन का एमआरआई कराने का सलाह दिया है. रिम्स में मशीन खराब है. मजबूरन पीपीपी मोड पर संचालित हेल्थ मैप में 5175 रुपए चुका कर जांच करवा रहा हूं.
डेढ़ साल की बच्ची के सर पर लगी चोट, MRI के लिए पहुंची हेल्थ मैप
लोहरदगा जिले के सोमरा बाजार के रहने वाले डेढ़ वर्षीय बच्ची अलवीना के पिता अमजद अपनी बच्ची के रेडियोग्राफी जांच के लिए रिम्स के हेल्थ मैप पहुंचे हैं. बच्ची के पिता ने बताया कि रिम्स में जांच नहीं हो पा रहा है, इसलिए यहां जांच कराने के लिए आए हैं.
कमर में हो रहा था दर्द, चिकित्सक ने दिया अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह
हजारीबाग जिले के रहने वाले बृजेश पाठक बैक पेन की समस्या से जूझ रहे हैं. उन्होंने रिम्स के यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक डॉ अरशद जमाल से परामर्श लिया. जिसके बाद चिकित्सक ने उन्हें अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दी. रिम्स में जब जांच के लिए पहुंचा तब मालूम चला कि मशीन खराब है. जांच के लिए रिम्स परिसर में बने रैन बसेरा के पास हेल्थ मैप में जांच के लिए पहुंचे हैं.
देखें वीडियो-
इसे भी पढ़ें- झारखंड हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणीः “रिम्स की व्यवस्था काफी लचर”
हर रोज डेढ़ सौ मरीज का जांच करता है पीपीपी मोड पर काम करने वाला हेल्थ मैप
हेल्थ मैप के सेंटर हेड विजय झा ने बताया कि हर रोज डेढ़ सौ मरीजों का जांच हेल्थ मैप में किया जाता है. जिसमें 70% मरीजों का फ्री जांच किया जाता है. विभाग के एचओडी, डिप्टी सुपरिटेंडेंट, मेडिकल सुपरिटेंडेंट यदि एलाऊ फ्री लिखते हैं तो हमें फ्री में ही मरीजों का जांच करना पड़ता है.
देखें वीडियो-
रिम्स पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट देने में करता है देरी
राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान “रिम्स” में संचालित मेडॉल लैब के सेंटर मैनेजर नदीम खान ने कहा कि लॉकडाउन से पहले 300 से 350 मरीज पैथोलॉजी जांच के लिए यहां पहुंचते थे. फिलहाल मरीजों की संख्या 200 से 250 के बीच है. कई ऐसी जांच है जिसका जांच रिपोर्ट मेडॉल रिम्स से पहले देता हैं, इसलिए मरीज यहां पर जांच के लिए पहुंचते हैं. कई जांच का रेट रिम्स से कम है तो कुछ जांच का रेट रिम्स से ज्यादा भी है.
CT-SCAN, MRI, अल्ट्रासाउंड और इको की जांच मशीन है खराब
रिम्स में सिटी स्कैन की मशीन पिछले 2 साल से खराब है. सीटी स्कैन मशीन खरीद का मामला विवादों में भी रहा, लेकिन अब तक नए मशीन की खरीददारी नहीं हो पाई है. जबकि इको जांच मशीन 5 महीना,MRI मशीन 2 महीना और अल्ट्रासाउंड मशीन भी 2 महीने से खराब है.
इसे भी पढ़ें-सूबे में सर्द हवाओं ने बढ़ाई ठंड, अगले चार दिनों तक राहत के आसार नहीं