Hazaribag : झारखंड के हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के मुरकी गांव में रहते हैं महेश मांझी. महेश मांझी के बनाये जुगाड़ से वाटर पंप आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना हुआ है. घने जंगलों के बीच बसा यह गांव नौकरी के लिए महानगरों में पलायन करने के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन अब इस इंजीनियर महेश मांझी के कारण यह गांव चर्चा में है.
1 एचपी के पावर के मोटर के बराबर यह पंप पानी दे रहा
महेश मांझी की शिक्षा पांचवीं कक्षा तक हुई है. इनके पास कोई डिग्री नहीं है. उसके बावजूद इन्होंने बिजली से चलने वाले पुराने वाटर पंप में जुगाड़ लगा कर ऐसा फेरबदल किया कि अब उसे बिजली या डीजल पेट्रोल की जरूरत ही नहीं रही. उसे केवल एक साइकिल के पिछले पहिए से जोड़ दिया गया है. और बस पैडल मारने से पटवन का काम पूरा होने लगता है. लगभग 1 एचपी के पावर के मोटर के बराबर यह पंप पानी दे रहा है. शुरुआत में इसमें एक फ्लाई व्हील लगाया गया था लेकिन उसमें ताकत अधिक लगानी पड़ती था. फिर महेश ने इसमें थोड़ा सुधार और किया और इसे दो फ्लाई व्हील के सहारे इसे इतना उन्नत बना दिया कि अब आसानी से पैडल मारकर थोड़ी ही देर में पटवन का काम पूरा किया जा सकता है.
परिवार साइकिल का पैडल मारकर पटवन कर लेता है
महेश मांझी के पास लगभग 5 एकड़ जमीन है, जिसे इसी पंप के सहारे महेश और उनका परिवार केवल साइकिल का पैडल मारकर पटवन कर लेता है. महेश मांझी ने बताया कि उनके पास बिजली से चलने वाली एक एचपी का मोटर था, जो खराब हो गया था. एक तो इस क्षेत्र में बिजली की सप्लाई बहुत अच्छी नहीं है, दूसरी तरफ पेट्रोल- डीजल के दाम इतने बढ़ गये हैं कि उनसे सिंचाई करना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में उन्होंने उसे इस जुगाड़ का ख्याल आया. उसने इस जले हुए मोटर के बिजली वाले पार्ट को हटा दिया और उस स्थान पर साइकिल से जुगाड़ लगाकर इस मोटर को बना दिया. अब ना तो इसमें बिजली लगती है और ना ही डीजल- पेट्रोल. बस साइकिल पर बैठकर पैडल मारिये और खेत का पटवन कर लीजिए. इस बार इसी के सहारे सब्जी की पूरी खेती वह कर रहे हैं.
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