LagatarDesk: निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में बजट पेश कर रही हैं. सरकार से लोगों को कई उम्मीदें हैं. ऐसे में राज्य सभा के मंत्रिमंडल के सदस्य पी. चिदंबरम का यह वाक्य बहुत ही चौकाने वाला है कि सरकार ने ना कोई उम्मीद की जा सकती है और न ही सरकार से कोई निराशा. उन्होंने कहा कि सरकार के लिए कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है.
तीन कृषि कानून के कारण किसान गुस्से में हैं. किसानों का विरोध और प्रदर्शन देश के अन्य राज्यों में भी फैल रहा है. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान केंद्र सरकार और बीजेपी के काम से नाखुश हैं. इस बार का बजट बहुत ही तनावपूर्ण परिस्थितियों में पेश किया जा रहा है क्योंकि सरकार के पास आय कम है और मांगें अधिक है.
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लगातार 8 तिमाही अर्थव्यवस्था में गिरावट
उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस बार का बजट पिछली बार की तरह ना हो. वित्त मंत्री खुद से की गयी घोषणाओं को ही इनकार कर दिया था. महामारी से पहले भी भारत की अर्थव्यवस्था खराब थी. साल 2018-2019 से लेकर मार्च 2020 की पहली तिमाही तक भारत की जीडीपी नीचे था. यानी लगातार 8 तिमाही तक देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज की गयी है. महामारी ने भारत को और अधिक खाई में धकेल दिया.
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बेरोजगारी दर उच्चतम स्तर पर
साल 2020-21 की पहली तिमाही में -23.9 फीसदी और दूसरी तिमाही में -7.5 फीसदी चला गया था. साल 2020-21 में भी नेगेटिल ग्रोथ होगी, इसे सरकार ने भी स्वीकार कर लिया है. चिदंबरम का मानना है कि सरकार का राजस्व इस बार बड़े अंतर से छूट जायेगा. राजस्व घाटा फीसदी के करीब होने का अनुमान है. साथ ही वास्तविक राजकोषीय घाटा 7 फीसदी को पार कर जायेगा.
उन्होंने कहा कि साल 2020-21 के शुरुआत में यह आपदा था लेकिन वित्त वर्ष के खत्म होते-होते यह एक तबाही के रुप में उजागर होगा. वास्तविकता यह है कि अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में है. वर्तमान में बेरोजगारी दर अपने उच्चतम स्तर पर है. ग्रामीम क्षेत्र में 9.2 फीसदी बेरोजगारी और शहरी क्षेत्रों में 8.9 फीसदी बेरोजगारी दर दर्ज किया गया है. भारत के संरक्षणवादी नितियों के कारण देश का आयत और निर्यात भी ठप हो गया है.
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K Shape रिकवरी
चिदंबरम ने बताया कि सरकार ने जैसा कि बताया कि सरकार अर्थव्यवस्था में V Shape रिकवरी है. तो आपको बता दे कि ऐसा कोई भी रिकवरी नहीं है. अगर भारत की अर्थव्यवस्था में अगर किसी तरह की रिकवरी हुई है तो वो K Shape रिकवरी है.
कोरोना काल में केवल अमीर और कॉरपोरेट सेक्टर के ही आय में वृद्धि हुई है. हलांकि जो मिडिल और गरीब लोगों को आर्थित तंगी का सामना करना पड़ा है. इस बात का खुलासा तब हुआ, जब Oxfam ने असमानता वायरस शीर्षक की रिपोर्ट जारी किया.
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सरकार से कई उम्मीदें
सरकार से उम्मीद है कि इस बार हेल्थ सेक्टर पर ज्यादा निवेस करेगी. साथ ही डिफेंस में अधिक खर्च किया जायेगा. इन दो सेक्टर पर ध्यान देकर अधिक राजस्व इकट्ठा कर सकती है. सरकार को राजकोषीय प्रोत्साहन लागू करना चाहिए. साथ ही गरीबी रेखा से नीचे के स्तर को 30 फीसदी का कैश देना चाहिए.
साथ ही जितनी रोजगार गयी है, उनको रोजगार देने के लिए एक ठांचा तैयार करना चाहिए. टैक्स दरों में कमी लाना चाहिए. विशेषकर जीएसटी और पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले करों में कमी करनी चाहिए.
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पूंजीगत व्यय में वृद्धि करने की जरुरत
सरकार को पूंजीगत व्यय में वृद्धि करना चाहिए. पिछले बजट में सरकार का पूंजीगत व्यय बजट राशि से बहुत ही कम था. टैक्स नियमों में सुधार करना चाहिए. Telecom, बिजली, विनिर्माण, खनन, Tourism & Hospitality के लिए भी पैकेज की घोषणा करनी चाहिए.
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