New Delhi : केंद्र सरकार द्वारा लाये गये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अब पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर रहा है. अब इस मामले में अमेरिका ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उसने कहा है कि इस मसले को लेकर दोनों पक्षों के बीच चर्चा होनी चाहिए और बातचीत के जरिये हल निकलना चाहिए. अमेरिका ने यह भी कहा कि वह मोदी सरकार द्वारा लाये गये कृषि बिल का स्वागत करता है. इससे भारत के बाजारों का प्रभाव बढ़ेगा.
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शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन लोकतंत्र का अंग
एक बयान में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमें लगता है कि शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन लोकतंत्र का अंग है. भारत की सर्वोच्च अदालत ने ने भी इसी बात को कहा है. अगर दोनों पक्षों के बीच कोई मतभेद है, तो उसे बातचीत से हल किया जाना चाहिए. अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए किसी भी फैसले का स्वागत करता है. अमेरिका ने निजी क्षेत्र को कृषि क्षेत्र की ओर लाये जाने की सराहना की है.
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वाइडेल प्रसासन की ओर से पहली प्रतिक्रिया
सत्ता संभालने के बाद बाइडेन प्रशासन ने पहली बार भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर अपनी सीधी प्रक्रिया देते हुए कृषि कानूनों का समर्थन किया है. आंदोलन के कारण दिल्ली और सीमावर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं बंद करने को लेकर कहा गया है कि अमेरिका को लगता है कि सूचना को लोगों तक पहुंचाना, जिसका इंटरनेट भी एक हिस्सा है, एक अच्छे लोकतंत्र का हिस्सा है. गौरतलब है कि दिल्ली के टिकरी, सिंघु और गाजीपुर सीमा, जहां किसानों का जमावड़ा है, वहां इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है.
भारत के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा था कि किसानों का मुद्दा भारत का आंतरिक मामला है. इसलिए किसी भी बाहरी व्यक्ति या संस्था को इस पर बयानबाजी से परहेज करना चाहिए. बुधवार को किसान आंदोलन को लेकर पॉपस्टार रिहाना और कई अन्य सेलेब्रिटीज की टिप्पणी के बाद अमेरिका की ओर से भी यह बयान आया है.
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