LagatarDesk: कोरोना काल में जहां लोगों की आय घट गयी है, वहीं घरेलू सिलिंडर लगातार महंगा हो रहा है. इस पर भी केंद्र सरकार सब्सिडी कम करती जा रही है. सरकारी तेल कंपनियां सिलिंडर की कीमत तय करती हैं. अप्रैल 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक कंपनियां सिलिंडर की कीमतें बढ़ाती गयीं.
वहीं सब्सिडी दिन प्रतिदिन कम होती गयी. क्या आपको पता है कि सिर्फ एक महीने में सरकार ने 206 रुपये सब्सिडी कम कर दी है. संकेतों को समझें, तो साफ जाहिर है कि सरकार घरेलू गैस पर दी जानेवाली सब्सिडी को पूरी तरह खत्म करने की तैयारी में हैं. केरोसिन पर सब्सिडी पहले ही खत्म की जा चुकी है.
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एक महीने में 206 रुपये घटी सब्सिडी
मात्र एक महीने में केंद्र सरकार ने सब्सिडी में 206 रुपये कम कर दी. अप्रैल 2020 में सब्सिडी वाले सिंलिडर के लिए ग्राहकों को 564 रुपये देने पड़ते थे. बिना सब्सिडी वाला सिलिंडर 803 रुपये का पड़ता था. ग्राहकों को अप्रैल 2020 में 239 रुपये सब्सिडी मिली थी. वहीं मई 2020 में सब्सिडी वाले सिलिंडर के 564 रुपये और बिना सब्सिडी के 597 रुपये देने पड़ते थे. यानी मई महीने में ग्राहकों को सिर्फ 33 रुपये सब्सिडी मिली. मात्र एक महीने में केंद्र सरकार ने 206 रुपये सब्सिडी घटा दी.
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एक रुपये सब्सिडी बढ़ी, दाम भी 1 रुपये बढ़ा
जून महीने में भी सब्सिडी के बाद ग्राहकों को 614 और बिना सब्सिडी के 646 रुपये देने पड़ते थे. लगातार दूसरी बार फिर से केंद्र सरकार ने सब्सिडी को कम कर दिया. जून महीने में ग्राहकों को सिर्फ 32 रुपये सब्सिडी दी जाती थी. मई महीने की तुलना में जून महीने में सब्सिडी में 1 रुपया कम कर दिया गया.
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सब्सिडी के अनुपात में सिलिंडर का दाम बढ़ा
जुलाई महीने में सिलिंडर 1 रुपये मंहगा हो गया. जुलाई में सब्सिडी के बाद ग्राहकों को 614 रुपये और बिना सब्सिडी के 650 रुपये देने पड़ते थे. जुलाई महीने में ग्राहकों को थोडी राहत दी गयी. सब्सिडी को 32 रुपये से बढ़ाकर 37 रुपये कर दिया गया. वहीं दूसरी ओर जून महीने की तुलना में जुलाई महीने में सिलिंडर के दाम 4 रुपये बढ़ा दिया गया था. 4 रुपये कीमत बढ़ाकर वही 4 रुपये केंद्र सरकार ने सब्सिडी में दे दिये.
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अगस्त से नवंबर तक सब्सिडी में कोई बदलाव नहीं
अगस्त में फिर से सिलिंडर के दाम में 1 रुपये की वृद्धि हुई. और वही बढ़ाया हुआ पैसा सब्सिडी के रुप में दे दिया गया. अगस्त महीने में सब्सिडी के बाद ग्राहकों को 614 रुपये और बिना सब्सिडी के 651 रुपये देने पड़ते थे. सितंबर महीने में सब्सिडी के बाद ग्राहकों को 614 रुपये और बिना सब्सिडी के 651 रुपये देने पड़ते थे.
अक्टूबर महीने में सब्सिडी के बाद ग्राहकों को 614 रुपये और बिना सब्सिडी के 651 रुपये देने पड़ते थे. नवंबर महीने में सब्सिडी के बाद ग्राहकों को 614 रुपये और बिना सब्सिडी के 651 रुपये देने पड़ते थे. अगस्त से लेकर नंवबर तक सिलिंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया और ना ही सब्सिडी में बढ़ोतरी की गयी.
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नंवबर में सिलिंडर 100 रु महंगा हुआ, सब्सिडी जस की तस रह गयी
दिसंबर में सरकारी तेल कंपनियों ने सिलिंडर की कीमत बढ़ाई. सीधे 100 रुपये की बढ़ोतरी की गयी. लेकिन सब्सिडी 37 रुपये पर ही रह गयी. दिसंबर महीने में सब्सिडी के बाद ग्राहकों को प्रति सिलिंडर 714 रुपये और बिना सब्सिडी के 751 रुपये देने पड़ते थे. जनवरी 2021 में सब्सिडी के बाद ग्राहकों को 714 रुपये और बिना सब्सिडी के 751 रुपये देने पड़ते थे. दिसंबर और जनवरी माह में फिर सिलिंडर की कीमत स्थिर रही.
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फरवरी में फिर महंगा हुआ सिलिंडर, सब्सिडी 37 ही रही
लगातार 2 महीने तक कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया. फरवरी महीने में केंद्र सरकार ने सिलिंडर का दाम 25 रुपये बढ़ा दिया. फरवरी महीने में सब्सिडी के बाद ग्राहकों को 739 रुपये देने पड़ रहे हैं. बिना सब्सिडी के यह कीमत 776 रुपये है.वर्ष 2019-20 में 35,605 करोड़, वर्ष 2020-21 में 25,520 करोड़ रुपये गैस सब्सिडी पर खर्च किया गया. वर्ष 2021-22 में इसे और कम करते हुए 12,480 करोड़ प्रस्तावित किया गया है. केंद्र सरकार ने अगस्त 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक सब्सिडी में कोई बढ़ोतरी नहीं की, लेकिन सिलिंडर के दाम में लगातार इजाफा किया गया.
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बजट में भी घटा दिया गया सब्सिडी खर्च
वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2022 के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी को घटाकर 12,995 करोड़ रुपये कर दिया. सरकार सिलिंडर की कीमतों में इजाफा कर करके अपने ऊपर से सब्सिडी का बोझ कम कर रही है. मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सरकारी अधिकारी ने कहा है कि सरकार सब्सिडी को खत्म करने की दिशा में बढ़ रही है. यही कारण है केरोसिन और एलपीजी के दाम में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है.
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