LagatarDesk : अगर आप भी लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है. देश के दो बड़े बैंक ने अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में कटौती की है. HDFC और Canara बैंक ने अपने MCLR रेट को घटाया हैं. MCLR में कटौती करने से इन बैंकों से लोन लेना सस्ता हो जायेगा. HDFC बैंक के ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार, बैंक की यह रेट 8 फरवरी से लागू हो गयी है.
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HDFC बैंक के नये MCLR रेट
HDFC बैंक की ओवरनाइट MCLR 6.85 फीसदी है. वहीं, एक महीने की अवधि के लिए यह 6.9 फीसदी रखी गयी है. तीन महीने के लिए MCLR रेट 6.95 फीसदी है. वहीं 6 महीने की अवधि के लिए MCLR 7.05 फीसदी है. 1 साल की अवधि के लिए MCLR रेट 7.2 फीसदी है. 2 साल के लिए MCLR रेट 7.3 फीसदी है. वहीं 3 साल की अवधि के लिए MCLR रेट 7.4 फीसदी है.
Canara बैंक का नया MCLR रेट
Canara बैंक ने एक दिन और एक महीने की अवधि के लिए MCLR में 0.1 फीसदी की कटौती की है. बैंक ने सोमवार को एक बयान में बताया कि ओवरनाइट और एक महीने के लिए MCLR रेट 6.7 फीसदी है. इसके अलावा तीन महीने के लिए MCLR 6.95 फीसदी, छह महीने के लिए MCLR 7.30 फीसदी और एक साल के लिए MCLR 7.35 फीसदी है. बयान में कहा गया कि रेपो से जुड़ी उधारी दर (RLLR) 6.90 फीसदी पर यथावत है.
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रिजर्व बैंक द्वारा तय होता है मिनिमम रेट
बैंकों द्वारा MCLR बढ़ाये या घटाये जाने का असर नये लोन लेने वालों पर पड़ता है. इसके अलावा उन ग्राहकों पर भी पड़ता है, जिन्होंने अप्रैल 2016 के बाद लोन लिया हो. अप्रैल 2016 से पहले रिजर्व बैंक द्वारा लोन देने के लिए मिनिमम रेट तय किया जाता है. इसे बेस रेट कहते है. यानी बैंक इससे कम दर पर ग्राहकों को लोन नहीं दे सकते.
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1 अप्रैल 2016 के बाद MCLR के आधार पर दिया जाता है लोन
1 अप्रैल 2016 से बैंकिंग सिस्टम में MCLR लागू कर दिया गया. MCLR लोन के लिए मिनिमम दर बन गया. यानी 1 अप्रैल 2016 के बाद MCLR के आधार पर ही लोन दिया जाने लगा.
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क्या होता है MCLR
जब कोई व्यक्ति बैंकों से कर्ज या लोन लेता है, तो इसके लिए ब्याज की न्यूनतम दर को आधार माना जाता है. कोई भी बैंक ब्याज के न्यूनतम रेट से कम पर लोन पास नहीं करता. इसे ही MCLR कहा जाता है.
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